फ्लॉप फिल्म में जिंदगी का हिट फंडा

फिल्म 'बार-बार देखो' की तस्वीर
फिल्म ‘बार-बार देखो’ की तस्वीर

 मुझे बहुत कुछ करना है, बहुत आगे जाना है। रिश्‍ते-नाते और करियर के बीच कहीं जिंदगी खत्‍म तो नहीं हो रही है। कैटरिना-सिद्धार्थ जैसे बड़े स्‍टारकास्‍ट के बावजूद फिल्म ‘बार बार देखो’ फ्लाप रही, मगर यह जिंदगी के मायने जरूर समझा जाती है । लाइफ मैथमेटिक्स बिल्कुल नहीं है, लेकिन फिर भी कई समीकरण बैलेंस करना पड़ता है। आप किसी को प्यार करते हैं, किसी को आई लव यू कहते हैं, मगर क्यों, कभी सोचा? सही जवाब क्या होगा ? क्योंकि तुमसे शादी हुई है…क्योंकि तुम अब मेरी वाइफ हो…क्योंकि तुम मेरे बच्चों की मां हो…अगर आप का जवाब कुछ ऐसा ही है, तो आप जिंदगी को जी नहीं रहे हैं गवां रहे हैं। तो फिर सही जवाब क्या है? सही जवाब यह होना चाहिए- ‘तुम मेरी चाहत हो, तुम मेरा कल थी, तुम मेरा भविष्य होगी और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह पल जो अभी है, वह तुमसे ही है।

बीते कल का तुम कुछ नहीं कर सकते, जो आने वाला कल है, वह बिल्कुल भी तुम्हारे हाथ में नहीं है, मगर यह जो पल है वर्तमान, वही तुम्हारा है। हम अक्सर भविष्य की चिंताओं में या कल जो चला गया, उसके लिए इस पल की हत्या कर देते हैं। भविष्य के लिए तुम जो सोच रहे हो, जो प्लान कर रहे हो, उसके लिए अगर आज खराब हो रहा है, तो यकीन मानो भविष्य में तुम बिलकुल अकेले होगे, बिल्कुल अकेले।

जिंदगी बड़ी-बड़ी चीजों में नहीं है, बड़ी-बड़ी सफलताओं से भी नहीं है। यह छोटे-छोटे पलों में है, इसलिए छोटे छोटे पलों का आनंद उठाओ। जो पल अभी है, वही सबसे महत्वपूर्ण है। बड़े बैनर के बावजूद मूवी ‘बार बार देखो’ हिट नहीं रही। लेकिन यह फिल्म जिंदगी के मायने अलग अंदाज में समझा देती है। एक तिहाई हिस्सा बोरिंग होने के बावजूद फिल्म उतनी बुरी नहीं है, जितनी समीक्षकों ने बताई है। जिंदगी का मर्म भी यही तो है । कभी पेशा और पैसा को परिवार पर कभी हावी ना होने दें । अकेला कभी कोई शौक से नहीं होता इसलिए परिवार को केंद्र जरूर बनाएं, मगर परिधि नहीं, हर रिश्‍ते कीमती हैं।

मां- घर में सबके होने पर भी सबसे ज्‍यादा आपकी चिंता करती है।

दोस्तों के साथ चंदन शर्मा (बाएं)
सहकर्मियों के साथ चंदन शर्मा (बाएं)

पिता- जिसके रहने मात्र से आपके फैसले के सही होने पर मुहर लग जाती है। जिसके सलाह मात्र से जीवन की कई समस्‍याएं तनाव नहीं दे पाती है।
पत्‍नी- जो आपके हर फैसले के साथ खड़ी होती है। उसका गुस्‍सा कितना भी हो आपके सॉरी बोलते ही आंख से आंसू निकाल लेती है।
बच्‍चे- आपके आने का इंतजार करते हैं, जिसके कारण आप का थकान छूमंतर हो जाता है।
दोस्‍त- जिसके साथ कभी भी आप कुछ शेयर कर सकें। जिसके साथ वक्‍त व्‍यतीत करने मात्र से टेंशन गायब हो जाता हो।
प्‍यार- जिसे समझाना ना पड़े कि आपका दिल क्‍यों दुखी है और कब । जिसकी आवाज मात्र से भी आपके दुख-दर्द पर मरहम लग जाता है।
भाई- जिसके होने मात्र से घर, बच्‍चे व पत्‍नी को छोड़कर भी निश्चिंत भाव से कहीं निकल जाते हैं।
बहन- कहीं भी रहे लगता है कोई अपना साथ है। दूर होने पर भी भावनात्‍मक रूप से हमेशा सबसे पास होती है।

अगर दोपहर का या रात का खाना इन सबके या इनमें से कुछ लोगों के साथ एक डायनिंग टेबल पर खा लेते हैं तो यकीन मानिए आप किसी बिलगेट्स या अंबानी से कम रईस नहीं हैं । दुनिया का कोई सुख इसकी बराबरी नहीं कर सकता है । अगर दुर्भाग्‍य से आपके पास इनमें से कोई भी नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। अपने एकाकीपन में किताबों से दिल लगा डालिए। स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान जरूर रखें। यकीन मानिए आपकी दुनिया झक मार के दोबारा ठीक होगी। नई शुरुआत जीवन के किसी भी मोड़ पर हो सकती है। आत्‍मविश्‍वास कायम रखें । वक्‍त का क्‍या है…अच्‍छा हो या बुरा हो, गुजर ही जाता है। दुखी रहेंगे तो पूरी दुनिया दुखी दिखेगी, इसलिए कहीं भी रहें बस खुशियां बिखेरते रहें ।-                                                                                                                                             चंदन शर्मा के फेसबुक वॉल से


chandan sharma profile

चंदन शर्मा। धनबाद के निवासी चंदन शर्मा ने कई शहरों में घूम-घूमकर जनता का दर्द समझा और उसे अपनी जुबान दी है। दैनिक हिंदुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, जागरण समूह और राजस्थान पत्रिका में वरिष्ठ संपादकीय भूमिका में रहते, सबसे निचली सतह पर जीने वाले लोगों की बात की। समाज में बदलाव को लेकर फिक्रमंद एक पत्रकार की छवि ही इनकी कामयाबी की कुंजी और पूंजी दोनों है।