बंसी कौल की स्मृति में रंग-दस्तक

राकेश मालवीय स्मृतियां जब दस्तक देती हैं तो आपको हंसाती हैं, रुलाती हैं, गुदगुदाती हैं, कुछ जोड़ती हैं, कुछ घटाती

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अपने गुरु से नाता जोड़, कहां गए मेरे गुरु हमको छोड़

पशुपति शर्माबंसी दा ने अपने गुरु नेमिचंद्र जैन की स्मृति में एक नाटक का ताना-बाना बुना- ‘साक्षात्कार अधूरा है’। नाटक

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इलाहाबाद में रंग प्रेमियों ने मनाया बंसी दा की स्मृतियों का उत्सव

‘निर्देशक नाटक में रहते हुए भी मंच पर अनुपस्थित रहकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।आज बंसी कौल भले ही शारीरिक

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गुरु बंसी कौल ने अपने गुरु से यूं जोड़ दिया नाता

पशुपति शर्मा शिक्षक दिवस पर तमाम गुरुजनों को नमन। इस बार रंगकर्म के गुरु बंसी कौल से जुड़ी कुछ यादें

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