मनुष्य सज़ा से नहीं प्रेम से बदलते हैं…. और हमारी दुनिया भी!

हमारे प्रेम से रिश्ते इतने जर्जर हो गए हैं कि थोड़ा-सा धक्का लगते ही टूट जाते हैं. बदलने के लिए

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