शिरीष खरे आजकल देश में किसानों का बड़ा आंदोलन खड़ा करने की कोशिश चल रही है । जिसमें देशभर से
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ग्रामीण भारत की बदहाली और आर्थिक विकास का लालीपॉप
शिरीष खरे भारत में ग्रामीण और शहरी अंचल के लिए निर्धनता का निर्धारण अलग-अलग तरह से होता है। एक आंकड़े
गांव की आर्थिक-सामाजिक बुनावट में कितना बदलाव
शिरीष खरे गांव क्या है? अवधारणाओं में जब भी इसे ढूंढ़ने-समझने की कोशिश की तो इससे जुड़ी व्याख्याओं में मुख्य
मैया नहीं मालगाड़ी बन गई है नर्मदा
शिरीष खरे जब पहली यात्रा समाप्त होने की कगार पर होती है तो मेरे भीतर दूसरी यात्रा तेजी से आगे
बनपुरी के डिजिटल स्कूल बनने की कहानी गजब-दिलचस्प है!
शिरीष खरे बारह साल पहले जब यहां यह स्कूल नहीं था तब एक आदमी ने अपनी जमीन दान कर दी।
सरकार को एहसास नहीं-भूख क्या होती है?
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये चौथी किस्त है। मेलघाट में उन्होंने महसूस किया कि भूख
मेलघाट में भूख से मरते बच्चे और 90 के दशक का सन्नाटा
शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये तीसरी किस्त है। मेलघाट से लौटते हुए ट्रेन में उनकी
पत्रकार के लिए हत्या की धमकी ही सबसे बड़ी चुनौती नहीं होती
शिरीष खरे ट्रेन की सामान्य गति से मुंबई की ओर लौटते हुए मेलघाट में जो घटा उसके बारे में सोच
पत्रकारिता की हड़बड़ी और मेरा दृष्टिदोष
शिरीष खरे कुछ बनने की जल्दी में हुआ दृष्टि-दोष, फिर एक दिन अचानक एक घटना से कि जाना निकट की चीजें दूर या दूर