राकेश मालवीय स्मृतियां जब दस्तक देती हैं तो आपको हंसाती हैं, रुलाती हैं, गुदगुदाती हैं, कुछ जोड़ती हैं, कुछ घटाती
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अपने गुरु से नाता जोड़, कहां गए मेरे गुरु हमको छोड़
पशुपति शर्माबंसी दा ने अपने गुरु नेमिचंद्र जैन की स्मृति में एक नाटक का ताना-बाना बुना- ‘साक्षात्कार अधूरा है’। नाटक
अपनी उदासियों पर लगा लेना एक मास्क!
कोरोना काल- 6 अपनी उदासियोंपर लगा लेनाएक मास्क! जो तुम्हारेशुभचिंतक हैंवो कर लेंगेउदासियों का हिसाब! तीन लेयर वाले मास्कके भीतर
‘ठेले’ से ‘ठेके’ तक उनके ‘ठेंगे’ पर है कोरोना!
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार कोरोना काल- एक वो मौत हथेलियों परलेकर निकले हैंअपनों को मौत बांटने नहींअपनों
‘साक्षात्कार अधूरा है’- गुरु से गुरु तक की यात्रा
पशुपति शर्मा बंसी दा के साथ काम करने का अपना अनुभव है। रचना-कर्म के दौरान एक आत्मीय रिश्ता रहता है
फूल और पत्तियां
पशुपति शर्मा/ आज फूल कर रहे थे बातें गुलाब, अपने रूप पर इतरा रहा था गेंदा, अपने गुणों का बखान
‘माफी’ के साथ ‘पहले प्यार’ से मिलने चले विनोद कापड़ी
फिल्मी जगत को दोस्ती के लिए छोड़कर करीब सालभर पहले मीडिया में वापसी करने वाले विनोद कापड़ी एक बार फिर
ऑर्गन डोनेशन: सवाल वोटिंग से कहीं आगे का है…
पशुपति शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार ये मेरी दीदी हैं- वीणा शर्मा। कल बेंगलुरु में वोट किया और अपील
तारीख़
तारीख दर तारीख वो मांग रहा था अपने हिस्से की धूप-छांव तारीख दर तारीख वो मांग रहा था अपने हिस्से का