बदलाव के अतिथि संपादक की मीडिया से अपेक्षाएं और उनके संकल्प

डाॅ. संजय पंकज मीडिया की महती भूमिका से आज सम्पूर्ण विश्व सुपरिचित है। दिनानुदिन नई-नई तकनीकों और सुविधाओं से लैस

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मेलघाट में भूख से मरते बच्चे और 90 के दशक का सन्नाटा

शिरीष खरे शिरीष खरे की बतौर पत्रकार यात्रा की ये तीसरी किस्त है। मेलघाट से लौटते हुए ट्रेन में उनकी

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पत्रकार के लिए हत्या की धमकी ही सबसे बड़ी चुनौती नहीं होती

शिरीष खरे ट्रेन की सामान्य गति से मुंबई की ओर लौटते हुए मेलघाट में जो घटा उसके बारे में सोच

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पत्रकारिता को न्यूज़ चैनलों और अख़बारों में मत तलाशिए

पुष्यमित्र हिंदी पत्रकारिता में आज भी एक स्वतंत्र पत्रकार का सर्वाइवल मुश्किल है। विभिन्न अखबारों में फीचर और आलेख लिखने वाले

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