स्वास्थ्य और शिक्षा मुद्दा क्यों नहीं चुनाव में ?

स्वास्थ्य और शिक्षा मुद्दा क्यों नहीं चुनाव में ?

ब्रह्मानंद ठाकुर

 बिहार की आबादी करीब 12 करोड है। यहां डाक्टरों के 11 हजार  373 पद  सृजित हैं  लेकिन लगभग आधा पद रिक्त है। अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के पद भी बडी संख्या मे रिक्त । बिहार से प्रकाशित अखबारों  के प्रथम पृष्ठ पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की जनता के नाम एक अपील छपी।  इस अपील पर 7 अक्टूबर 2020 की तिथि अंकित है। इसमे बिहार सरकार द्वारा 2005 से अबतक किए गये विकास कार्यों की चर्चा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में भी एक पंक्ति है —- ‘ अस्पतालों मे  ईलाज की बेहतर व्यवस्था की गई।’ 

बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति से पूरा बिहार परिचित है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां औसत 29 हजार लोगों पर एक डाक्टर है और 8645 लोगों पर अस्पताल मे एक बेड है। बिहार में  राज्य के कुल व्यय का 3.94 प्रतिशत ‘ स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होता है। जो देश के विभिन्न राज्यों मे  होने वाले खर्च मे नीचे से दूसरा है। ( टाइम्स आफ इण्डिया, 20 जून 2019)। 17 जनवरी ,2020 को बिहार से प्रकाशित एक पमुख हिन्दी दैनिक अखबार मे राज्य के गिरती स्वास्थ्य  सेवा पर  हाइकोर्ट की प्रतिक्रिया छपी थी जिसमे  पटना हाइकोर्ट ने कहा था कि सरकारी अस्पतालों मे डाक्टरों व  पारा मेडिकल कर्मियों की घोर कमी है। औसतन 30 फीसदी डाक्टर व मेडिकल कर्मियों से अस्पताल  चलाए जा रहे हैं। कहीं  आधारभूत संसाधन है तो उसे चलाने वाला नहीं है। कहीं कहीं तो मशीने बर्षों से खराब पडी हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि गरीब जनता दवा के लिए लाईन मे लगी रहती हैः । उसे दवा नहीं मिलती है।

 मुजफ्फरपुर जिले के मुरौल प्रखंड अन्तर्गत  पिलखी गांव स्थित 30 शय्याओं वाले मातृ शिशु अस्पताल की  यही स्थिति  है।  यहां आलीशान भवन है,डाक्टरों एवं अन्य स्टाफ के लिए आवास भी है मगर यहां अबतक न किसी डाक्टर की पोस्टिंग हुई न किसी अन्य स्वास्थ्यकरँमी की।  स्थानीय जनता के दवाब पर जिले के तत्कालीन सिविलसर्जन ने 26 जनवरी 2019 को एक डाक्टर का प्रतिनियोजन कर अस्पताल का उद्घाटन कर दिया। कुछ समय बाद स्थिति जस की तस हो गई। वर्तमान मे  अस्पताल का परासर पूरी तरह वीरान बना हुआ है।

बताते चलें कि इस अस्पताल के लिए एक स्थानीय ग्रामीण कृष्णदेव चौधरी ने अपनी बहुमूल्य एक एकड जमीन दान में दी थी।दो साल पूर्व इस अस्पताल के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी समेत विशेषज्ञ चिकित्सक ( जेनरल सर्जन ,फिजिशियन , स्त्रीरोग , शिशुरोग , तथा 2 मूर्च्छक के 6 पद , 4 सामान्य चिकित्सक और एक -एक दंत एवं आयुष चिकित्सक कुल 6  पद सृजित किया गया। इसके अलावे स्टाफ नर्स के 12 , एक्सरे टेकनीशियन के 1 , लैब टेकनीशियन के 4 ,फारमासिस्ट के 3 , ओटी टेकनीसियन  के 6,  निम्नवर्गीय लिपिक के 4 और ड्रेसर सह कमपाउंडर के 6 कुल 50 पद सृजित किए गये लेकिन बहाली आजतक नहीं हुई। स्वास्थ्य चिकित्सा जनता की बुनियादी जरूरत हैः

सरकारी अस्पताल बदहाल है।  मरीज अपने ईलाज के लिए निजी अस्पतालों की शरण मे जाने को मजबूर है। इसपर भी स्वास्थ्य चिकित्सा इस चुनाव का मुद्दा नहीं है।