विनम्रता तो कोई आजतक वाले सईद भाई से सीखे

विनम्रता तो कोई आजतक वाले सईद भाई से सीखे

विकास मिश्रा

(अपने साथियों के बारे में लिखने का अपना ही रिस्क होता है, बावजूद इसके बातें हों तो अच्छा है। इस तरह के लेखन में भावुकता का अतिरेक हो सकता है, बावजूद इसके भावनाएं अभिव्यक्त होती रहनी चाहिए। एक ही व्यक्ति के बारे में अलग-अलग व्यक्तियों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि अपनी राय न रखी जाए। विकास मिश्रा उन चुनिंदा लोगों में हैं, जो अपने परिवेश के लोगों पर बेबाकी से राय रखते हैं। ये टिप्पणी सईद अंसारी की शख्सियत के बेशक कुछ एक पहलुओं पर रौशनी डालती है, लेकिन है बेहद मजेदार।)

सईद अंसारी…नाम तो सुना होगा..। जितने बढ़िया एंकर, उतने ही बेहतरीन इंसान भी। हमेशा हंसते हुए और गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। हर किसी की मदद के लिए तैयार, पक्के यारबाज। मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कोई ऐसा भी इंसान होगा, जिसने कभी ये शिकायत की हो कि सईद अंसारी ने मुझसे कोई गलत बात की, तल्ख आवाज में बात की। जमीन से बिल्कुल जुड़े हुए, बिल्कुल इगोलेस, कमाल के इंसान। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अगर किसी एंकर का कोई स्लॉट तय है तो वो कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उस स्लॉट में कोई और एंकरिंग करे, लेकिन सईद भाई इस नियम से परे हैं। न्यूज 24 में जब मैं शाम साढ़े सात बजे का न्यूज स्पेशल बनाता था, तब उसके एंकर एक रोज सईद भाई होते थे, अगले रोज अंजना। अगर कोई हल्का फुल्का या फिर किसी फिल्मी मसालेदार सब्जेक्ट पर शो होता था तो मैं सईद भाई से कह देता कि ये सब्जेक्ट आप लायक नहीं है, आप हमारे मुख्य एंकर हैं, तो मैं इसे किसी नए एंकर से करवा लेता हूं। सईद भाई बिल्कुल तैयार। बोलते-जी हां विकास भाई आप सही कह रहे हैं। सईद के इस दरियादिली में न्यूज 24 में कई नए एंकर भी तैयार हो गए। कई बार उनके साथ एंकरिंग में मैंने कुछ प्रयोग भी किए, सईद भाई हर बात के लिए तैयार मिलते।

सईद अंसारी के साथ बहुत सी खूबियां जुड़ी हैं। ये कुल दो- ढाई मिनट में कोट-टाई पहनकर तैयार हो जाते हैं। चलते कम हैं, दौड़ते ज्यादा हैं। न्यूजरूम में भी दौड़ते ही रहते हैं। हमेशा इनके चेहरे पर आपको ताजगी दिखेगी। सईद भाई तो स्टार न्यूज में लगातार 18 घंटे बिना ब्रेक के लाइव एंकरिंग करके वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। जिसे लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में बाकायदा दर्ज किया गया है। काम के जुनून का एक मजेदार वाकया सुनिए। न्यूज 24 में सईद भाई घंटों से एंकरिंग कर रहे थे। कोई बड़ी घटना हो गई थी। उस वक्त चैनल पर विजुअल चल रहे थे, पीछे सईद अंसारी की आवाज आ रही थी। अचानक उनकी आवाज के साथ, वॉशरूम में फ्लश चलने की हल्की सी आवाज आई। दस सेकेंड में बंद भी हो गई। दरअसल हुआ ये था कि सईद भाई को जोरों से वाशरूम जाने की तलब लगी हुई थी, लेकिन वो मौका नहीं ढूंढ पाए थे। ईपी (इयरफोन) उनके कान में था, पैनल को उन्होंने इशारे में बता भी दिया था। वो मुतमईन थे कि इस दौरान उन्हें स्क्रीन पर दिखाया नहीं जाएगा, इस बीच वो वाशरूम चले गए, खबर के बारे में बोलते रहे, और वाशरूम से फारिग होकर लौट भी आए।

साल 2009 की बात है, तब मैं जब न्यूज 24 में था। मोटरसाइकिल छोड़कर कार खरीदने का मूड बना रहा था। कई बार मीटिंग में भी मेरी कार का मुद्दा उठ गया। मेरे सामने सवाल कुछ पेशगी की रकम का था, क्योंकि मेरे अकाउंट में कभी पैसे अमूमन न पहले रहे, न उस वक्त रहे, न आज रहते हैं। खैर, एक रोज मेरे मोबाइल में बैंक से एक मैसेज आया, जिसके मुताबिक मेर खाते में 60 हजार रुपये आए थे। मैं परेशान कि ये पैसे कहां से आए। मैंने चैनल की मीटिंग में भी कहा कि न जाने कहां से खाते में 60 हजार रुपये आए हैं, कहीं तनख्वाह दो बार तो नहीं आ गई। सईद भाई बोले-अरे विकास भाई, पैसे आ गए तो सोचिए मत, अब कार खरीद लीजिए। शाम को मेरी परेशानी भांपते हुए सईद भाई ने बताया-विकास भाई आपका अकाउंट नंबर पता करके ये मैंने ही भेजा है, अब कार खरीदिए। खैर, उस वक्त मैंने वैगन आर कार खरीदी, जिसे प्यार से मेरे घर में वैगू नाम दिया गया। कार आ गई, पैसे चुक गए। मजे की बात ये थी कि कई बार न्यूजरूम में जब सईद तेजी से पास से गुजरते तो मैं जोर से उनसे कहता-सईद भाई मुझसे पैसा उधार लिए हैं क्या जो नजर बचाकर निकल रहे हैं। सईद झेंप जाते, क्योंकि उन्होंने सख्ती से मना कर रखा था कि उनसे पैसे लेने वाली बात मैं किसी से न कहूं।

सईद भाई को बच्चों से बहुत प्यार है। किसी पार्टी वगैरह में जाते हैं तो सभी बच्चों का मजमा जुटा लेते हैं। उन्हें बाकी लोगों से मिलना जुलना उतना रास नहीं आता, जितना बच्चों के बीच वो रमते हैं। हमारे वरिष्ठ साथी कहते हैं-सईद अंसारी ही अगला चाचा नेहरू बनेगा। जो बच्चा सईद भाई से एक बार मिल ले, फिर उनका फैन हो जाता है। कोई भी सईद भाई को न्योता दे, सईद भाई पहुंचते जरूर हैं, हालांकि वो अक्सर पार्टी में पहुंचने वाले और पार्टी से जाने वाले सबसे आखिरी सदस्य होते हैं।

2009 में सईद भाई ने नई नई स्कॉर्पियो खऱीदी थी। न्यूज 24 की छत पर एक रोज यूं ही बातचीत में मैंने उनसे कहा कि इस बार गांव जाऊंगा तो आपकी स्कॉर्पियो ले जाऊंगा। सईद भाई ने चाबी जेब से निकाली, बोले-अभी लीजिए। मैंने कहा-जब जाऊंगा तो ले लूंगा। सईद बोले नहीं, अभी लीजिए, मैं आपकी वैगन आर ले लूंगा। संयोग देखिए, जब हम लोग छत पर रात में ये बातचीत कर ही रहे थे, उसी रात उनकी नई नवेली स्कॉर्पियो चोरी हो गई। सईद के चेहरे पर इसका मलाल नहीं था। वो पहले जैसे ही मस्त नजर आते रहे।

सईद एंकर हैं, उनके हजारों फैन हैं, जब वो चैनल की वेबसाइट पर फेसबुक लाइव में आते हैं तो पल भर में हजारों लाइक्स, शेयर और कमेंट आ जाते हैं। जब सईद बाहर जाते हैं, उनके साथ फोटो खिंचवाने और सेल्फी लेने वालों में होड़ मच जाती है। सईद किसी को निराश भी नहीं करते। सईद जैसे हैं, वैसे ही रहना और दिखना चाहते हैं, किसी शोहरत की उन्हें दरकार नहीं, शायद यही वजह है कि लोगों के लाख कहने के बावजूद सईद ने न तो फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाया और न ही ट्विटर पर। सईद से आप कभी किसी बड़े ओहदेदार से दोस्ती या रिश्तों का जिक्र नहीं सुनेंगे ( हालांकि उनके ऐसे कई लोगों से अच्छे रिश्ते हैं), लेकिन दफ्तर के गार्ड, हाउस ब्वाय, पैनल के स्टाफ, स्विचर और तमाम कनिष्ठ साथियों से सईद के हमेशा अच्छे रिश्ते रहते हैं। सईद रोजाना सबका हाल चाल पूछते हैं। सभी गार्ड्स से उनके अच्छे रिश्ते हैं, यही वजह है कि दफ्तर में उनकी गाड़ी के लिए कभी पार्किंग फुल नहीं होती। ऊंचाई पर पहुंचकर भी किस तरह इंसान विनम्रता बनाए रखे, ये पाठ सईद अंसारी अपने व्यक्तित्व से हमें रोज पढ़ाते रहते हैं।


विकास मिश्रा। आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ संपादकीय पद पर कार्यरत। इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के पूर्व छात्र। गोरखपुर के निवासी। फिलहाल, दिल्ली में बस गए हैं। अपने मन की बात को लेखनी के जरिए पाठकों तक पहुंचाने का हुनर बखूबी जानते हैं।