संतूर वादन से झंकृत हो गए पूर्णिया के तार

संतूर वादन से झंकृत हो गए पूर्णिया के तार

डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’

पूर्णिया के विद्या विहार इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नलॉजी में स्पीक मैके की ओर से संतूर वादन की प्रस्तुति हुई। अंतरर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभय रुस्तम सपूरी ने संतूर की तान छेड़ी और तबले पर उनका साथ दिया मशहूर कलाकार मिथिलेश झा ने। प्रस्तुति का आयोजन किया स्पीक मैके के पूर्णिया चैप्टर ने। यहां यह बताना अप्रासंगिक नहीं होगा कि स्पीक मैके एक अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त संस्था है, जिसकी स्थापना भारतीय संस्कृति और संगीत को युवाओं के बीच प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से की गयी। इसके संस्थापक प्रो. किरण सेठ हैं, जो आईआईटी दिल्ली में प्राध्यापक हैं।

कार्यक्रम की शुरूआत कलाकार द्वय अभय रुस्तम सपूरी एवं मिथिलेश झा; विद्या विहार इंस्टीच्यूट के निदेशक, प्रो. अशेश्वर यादव; सचिव, राजेश मिश्रा; प्राचार्य प्रो. मनीष कुमार, स्पीक मैके, पूर्णिया के अध्यक्ष रमेश चंद्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष विजय नंदन प्रसाद व सचिव स्वरुप दास ने दीप प्रज्जवलित करके किया। तत्पश्चात संस्थान के सचिव श्री मिश्रा ने बुके प्रदान कर आगत कलाकारों का अभिनंदन किया। स्पीक मैके के सचिव श्री दास ने स्पीक मैके के बारे में, तथा संस्थान की छात्रा, सुश्री श्वेता ने कलाकारों के बारे में उपस्थित श्रोताओं को बताया।

संतूर वादक अभय रुस्तम सपूरी ने संतूर से समा बांध दिया। उन्होंने संतूर वाद्ययंत्र से उपस्थित लोगों को परिचय कराया और युवाओं से साथ मिलकर सरगम गवाया। फिर तो संगीत प्रेमी सुध-बुध खो बैठे। दक्ष तबला वादक मिथिलेश झा ने भी इसमें संतूर वादक का भरपूर साथ दिया। संतूर वादन के पश्चात स्पीक मैके परंपरा के अनुरूप संगीत से संबंधित प्रश्न-उत्तर की गतिविधि हुई। समारोह के अंत में विद्या विहार प्राद्यौगिकी संस्थान की ओर से कलाकारों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस उल्लेखनीय कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्या विहार इंस्टीच्यूट एवं विद्या विहार आवासीय विद्यालय, परौरा, के विद्यार्थियों के अलावा कई संस्थानों के अध्यापक एवं अच्छी संख्या में शहर के संगीत-प्रेमी मौजूद थे।


डॉ शंभु लाल वर्मा ‘कुशाग्र’  बी एन मंडल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर। बीएन कॉलेज, पटना से उच्च शिक्षा। बिहार शरीफ के मूल निवासी। इन दिनों पूर्णिया में निवास। कविता, साहित्य समीक्षा और रंगकर्म के सैद्धांतिक और व्याव्हारिक पक्ष पर समान दखल।