कितने पत्रकारों की हत्या के बाद जागेगी सरकार?

कितने पत्रकारों की हत्या के बाद जागेगी सरकार?

पुष्यमित्र

घुमक्कड़ पत्रकारिता की अपनी नौकरी की वजह से अक्सर ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकार साथियों से मिलना-जुलना होता रहता है। कुछ साथियों के घर भी चला जाता हूँ। पिछले दिनों इसी तरह एक साथी के यहां गया था। हमलोग अंदर बैठ कर चाय पी रहे थे कि बाहर जोर-जोर से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी। पत्रकार साथी के साथ मैं भी बाहर जाकर देखने निकला कि माजरा क्या है तो साथी ने मुझे अंदर ही बैठने कहा। मित्र बाहर गये और बाहर जो लोग चिल्ला रहे थे उन्होंने पत्रकार साथी से बहस शुरू कर दी। बहस काफी गर्म थी और लगभग घंटे भर चलती रही। साथी ने अपने कौशल से सामने वाले को ठंडा किया। एक समझौते के बाद हंगामा करने वाले विदा हुए।

एक और पत्रकार की हत्या

समस्तीपुर जिले में एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई। एक दैनिक अखबार में काम करने वाले बृजकिशोर कुमार पर अज्ञात बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर ब्लॉक में रहने वाले बृजकिशोर कुमार के पिता ईंट-भट्टे का काम करते हैं। बृजकिशोर ईंट-भट्टे पर मौजूद थे, उसी समय अज्ञात बदमाशों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। उनको करीब सात गोलियां मारी गईं। घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।

बाद में पता चला कि हंगामा करने वाला इलाके का सबसे बदनाम गुंडा था। उसकी पत्नी पंचायत में एक महत्वपूर्ण पद पर निर्वाचित थी और वह पत्रकार मित्र के जरिये उनके अख़बार को विज्ञापन दिया करता था। इस बीच किसी प्रकरण में पत्रकार मित्र को उसकी पत्नी के खिलाफ नकारात्मक खबर लिखनी पड़ी या कोई और ऐसा मसला हो गया कि गुंडा महोदय को बुरा लग गया। वह अपने साथियों के साथ उसी प्रसंग का हिसाब करने आया था। और वह जब तक उस साथी के दरवाजे पर रहा पत्रकार साथी के परिवार के लोग सहमे सिकुड़े रहे।

यह प्रसंग इसलिये सुना रहा हूँ ताकि आप समझ सकें कि हमारे जिलों के पत्रकार किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। राजदेव रंजन की हत्या के बाद आज बिहार में चौथे पत्रकार की हत्या हुई है, समस्तीपुर में। ये तमाम कत्ल जिलों में हुए हैं, राजधानी में नहीं या उन जगहों में नहीं जहां से अख़बार छपते हैं। अब आप समझिये कि कसूरवार कौन-कौन हैं।


पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।

One thought on “कितने पत्रकारों की हत्या के बाद जागेगी सरकार?

  1. मीडिया हाउस ने पत्रकारों से विग्यापन संग्रह करा कर उनकी कलम की धार कुंद कर दिया है ।अब हम जिससे विग्यापन लेंगे तोउसके विरोध में कैसे समाचार लिख पाएंगे ?पुष्यमित्र जी अच्छी तरह से मुफस्सिल पत्रकारों की स्थिति से आवगत होंगे ।ऐसी पत्रकारिता से प्रतिदिन तीन आदमी के परिवार के लिए एक शाम की सब्जी का भी जुगार नही हो कता है और न पहले वाला क्रेज ही रहा।कभी मै भी एक बडे अखबार का मुफस्सिल संवादाता हुआ करता था ।विग्यापन की जिम्मेवारी तो नही थी लेकिन अखबार का विग्यापन मद का बहुत दिनो का बकाया करीब चार लाख रुपया भुगतान करा दिया था ।परिणाम जानिएगा पुष्यमित्र जी !जब तक वो अधिकारी पद पर रहे , मैने उनकेगलत कामो पर कभी कलम नहीचलाई ।समझ सकते हैं मैने निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का कितना अनुसरण किया होगा ।

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