राधा मोहन सिंह को ग़ुस्सा क्यों आया?

राधा मोहन सिंह को ग़ुस्सा क्यों आया?

कुणाल प्रताप सिंह

radhamohan-1मोदी मंत्रालय के वरिष्ठ मंत्रियों में शुमार किये जाने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय में आने-जाने की सुविधा की बहाली के लिए अपने कोष से एक करोड़ की राशि जारी की। साथ ही विश्वविद्यालय के लिए जमीन मिलने के बाद कृषि अनुसंधान केंद्र और विभाग की स्थापना का संकल्प भी आपने दोहराया। लेकिन इसी कार्यक्रम में विरोधियों की हूटिंग और रवैये ने सारा मजा किरकिरा कर दिया। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आपको अपना काम करते रहने की नसीहत देते हुए कहा कि अच्छा काम करने निकलने पर कई बार लोग पत्थर मारते हैं।

radhamohan-2दरअसल, राधामोहन सिंह की पीड़ा यह है कि चाहे सरकार किसी की रही, विश्वविद्यालय की स्थापना में हुई देरी के लिये हर बार उन्हें ही कठघरे में खड़ा किया जाता रहा।  2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद पहली कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली। दिसम्बर 14 तक संसद के दोनों सदनों से यह अध्यादेश पारित हो गया। राष्ट्रपति ने भी इस पर मुहर लगा दी। कुलपति की नियुक्ति से लेकर विश्वविद्यालय खोले जाने की प्रक्रिया में वक़्त लगा। विश्वविद्यालय खुलने में देरी पर विरोध शुरू हो गया। लोगों को लगा कि कांग्रेस की तरह मोदी सरकार भी बस वादे ही कर रही है। लिहाजा सरकार के कैबिनेट मंत्री व इलाके के जनप्रतिनिधि होने के नाते आप पर लोगों का गुस्सा फूटा।

radhamohan-3बीच सभा में बैनर दिखाकर मोतिहारी में एम्स की मांग करनेवाले संगठनों पर राधामोहन सिंह ने भी तंज कसा। नाराजगी प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग देश की राजधानी और यूएनओ के मुख्यालय भी मोतिहारी में स्थापित करने की मांग कर सकते हैं। हालांकि ये भी किसी से छिपा नहीं है कि बिहार में स्वास्थ्य सेवा का घोर अभाव है और दूसरे एम्स की स्थापना की जरूरत भी है। पहली बार चंपारण को भारत सरकार के कैबिनेट में प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है। इसका लाभ चंपारण को अवश्य ही मिलना चाहिए। जगह मोतिहारी हो सकता है या पश्चिमी चंपारण के सुदूर थरुहट का इलाका, जहाँ  गांधी के अंतिम जन आज भी गरीबी और स्वास्थ्य सेवा के आभाव में असमय दम तोड़ देते हैं। यह संसथान भारत-नेपाल सीमा पर होने के कारण नेपाल की गरीब जनता को भी इसका लाभ मिल सकेगा।


kunal praap profile कुणाल प्रताप सिंह। एमएस कॉलेज मोतिहारी के पूर्व छात्र। समाजसेवी और पत्रकार। इन दिनों इंडिया टुडे से जुड़े हुए हैं। हिंदुस्तान, प्रभात खबर और चौथी दुनिया के साथ भी पत्रकारिता के अनुभव बटोरे। लोक अदालत के सदस्य के बतौर सैंकड़ों छोटे-मोटे झगड़ों के निपटारे में अहम भूमिका निभाई।