मां की आदत

मां की आदत

मां ने पल्लू में अभी तक
बांधकर रखी है 
मेरी पहली खिलखिलाहट

जटामासी जैसे मेरे बालों के गुच्छे
पोटली में सहेज रखा है
गांव के ब्रह्म बाबा को अर्पित करने के बाद

कागज पर पहली बार
सरकंडे से लिखा था जो ‘मां’
उसे नष्ट नहीं होने दिया है उसने

वह पुराना पोस्टकार्ड भी है उसके पास
जिसमें पहली बार लिखा था मैंने
‘तुम्हारा नालायक बेटा’

मां मेरी हर एक चीज संभाल कर रख लेती है
वह शब्द भी
जो मैं फोन पर सबसे बाद में बोलता हूं
‘अपना ख्याल रखना…’


अखिलेश्वर पांडेय। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र। मेरठ में शुरुआती पत्रकारिता के बाद लंबे वक्त से जमशेदपुर, प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय पद पर कार्यरत।