हमारे पोते-पोतियों को हमसे दूर मत करो भाई- दिल की आवाज़

हमारे पोते-पोतियों को हमसे दूर मत करो भाई- दिल की आवाज़

ब्रह्मानंद ठाकुर

बदलाव पाठशाला के प्रथम सालगिरह और विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस के अवसर पर 2 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के पियर गांव में एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। संवाद का विषय था- ‘कल और आज- कुछ अपनी कहें, कुछ हमारी सुनें ।’ बदलाव और ढाई आखर फाउंडेशन की ओर से आयोजित संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता बंदरा प्रखंड सीनियर सिटिजन्स के अध्यक्ष श्याम नन्दन ठाकुर ने की। इस संवाद में पाठशाला के अलावा पास-पड़ोस के बच्चों ने भी भाग लिया। मुख्य अतिथि के रूप मे  जाने-माने कवि , लेखक और साहित्यकार डाक्टर संजय पंकज , डाक्टर वीरेन नन्दा और पत्रकार एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ता कुंदन कुमार उपस्थित थे।

बदलाव पाठशाला का एक बरस

संवाद का विषय प्रवेश पाठशाला के संचालक ब्रह्मानन्द ठाकुर ने अरुण कमल की कविता ‘  बादशाह खान के प्रति ‘ का पाठ करते हुए किया। उन्होंने बदलाव पाठशाला के एक साल के सफर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले वर्ष गांधी जयंती के दिन बदलाव की पहल पर बदलाव पाठशाला की शुरुआत हुई थी। फिर तो लोग मिलते गये और कारवां बढता गया। ब्रह्मानंद ठाकुर ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक हमारे समाज के अमूल्य धरोहर हैं। हमें हर क्षेत्र में इनके सहयोग की जरूरत है। बुजुर्ग यदि अपने बचपन का अनुभव इन बच्चों के साथ साझा करेंगे तो तीसरी पीढी के इन बच्चों का नि: संदेह चरित्र निर्माण होगा। नई पीढी को भी चाहिए कि वे  केवल अपने घर के ही नहीं, अन्य बुजुर्गों का भी पूरा ख्याल रखें और उन्हे सम्मान दें।
तीन सत्रों में आयोजित इस संवाद कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीरों पर माल्यार्पण से की गई। इसके बाद सत्यम , पुष्पांजली और प्रियांचल ने ‘ हमारे प्रिय बुजुर्ग ‘ विषय पर लेख प्रस्तुत किया। फिर उपस्थित सभी बच्चों ने काव्य पाठ किया।  हाथ में माइक थाम पूरे आत्मबल के साथ पहली बार जनसमूह के बीच कविता पढने का बच्चों का उत्साह देखते बनता था। कुछ किशोर उम्र के लड़के इस  काव्यपाठ  का फेयबुक से लाइव प्रसारण कर रहे थे।

विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस पर आयोजन

दूसरे सत्र के संवाद में उपस्थित बुजुर्गों ने बच्चों से अपना अनुभव साझा किया। सेवानिवृत प्राध्यापक शत्रुघ्न प्रसाद ठाकुर ने अपने छात्र जीवन का अनुभव साझा करते हुए मौके पर उपस्थित अभिभावकों से कहा कि वे अपने बच्चों पर विशेष ध्यान दें मगर कोई ऐसा दबाव न दें, जिनसे उनके कोमल मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव पड़े। उनकी भूमिका प्यार से मार्गदर्शन की होनी चाहिए। बेसिक स्कूल के हेडमास्टर पद से तीन दशक पूर्व सेवा निवृत  वयोवृद्ध शिक्षक गजेन्द्र नारायण ठाकुर ने कहा कि उनके समय से आज का समय काफी बदल गया है। आज अगर उन बीते दिनों की बात करें तो बच्चे उस पर शायद ही विश्वास करेंगे। तब गांव का कोई भी बच्चा सबका बच्चा होता था और गांव के कोई भी बुजुर्ग सभी बच्चे के दादा, नाना और चाचा होते  थे। बच्चों का साथ सदा से ही बड़े – बुजुर्गों का सम्बल रहा है। दादी – नानी की कहानियां तो हमारी उम्र के लोगों को आज भी याद हैं। जरूरत है कि बच्चों के साथ बुजुर्गों का यह संवाद चलता रहे। बदलाव की इस पहल को उन्होंने न केवल सराहा बल्कि अनुकरणीय बताया।
सेवानिवृत शिक्षक कौशल किशोर शर्मा ने बचपन की एक आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब वे दूसरी कक्षा में थे तो एक छात्र की शिक्षक द्वारा पिटाई देख इतने डर गये कि दूसरे दिन स्कूल नहीं जाने के लिए घर मे गुडियाई हुई चटाई मे घुस कर छिप गये थे। तब भी कहां बच पाए ?  उनकी खोज होने लगी। मरुआ सुखाने के लिए जब चटाई खोली गई तब पकड़े गये और उनके पिताजी ने उन्हें स्नान करा, कपड़े पहना कर खींचते हुए स्कूल पहूंचा ही दिया था। उन्होंने कहा कि भला हो उन शिक्षक का जिन्होंने उनके भय को समझा और उसे उनके मन से दूर कर दिया। फिर तो वे नियमित स्कूल जाने लगे। इसलिए बच्चों को भय नहीं, प्यार की जरूरत है और यह प्यार तो दादा -दादी और नाना – नानी से ही मिल सकता है। उन्होंने कहा , हमारे पोते – पोतियों को हमसे दूर मत करो भाई ,उन्हें मेरे पास ही रहने दो, उनका भला ही होगा।
इस संवाद में संस्कृत के  सेवानिवृत प्रोफेसर डाक्टर अमरेन्द्र ठाकुर ,प्रगतिशील किसान आनन्द कुमार ठाकुर ,रामबालक राय , डॉक्टर श्याम किशोर , बंदरा के वर्तमान बीडीओ अलख निरंजन , उजियारपुर ( समस्तीपुर ) के बीडीओ विजय कुमार ठाकुर ने भी बच्चों से संवाद स्थापित किया। विजय कुमार ठाकुर अपने साथ नाश्ते का पैकेट लाए थे, जिसे बच्चों के बीच वितरित किया गया। विजय जी को अपने बीच पाकर पाठशाला के बच्चे चहकने लगे थे। इनका इस पाठशाला से पुराना लगाव है।
तीसरे सत्र में काव्यपाठ का आयोजन किया गया। काव्यपाठ की शुरुआत डाक्टर श्याम किशोर ने अपनी कविता  ‘ जीवन की गाड़ी का बुढापा स्टेशन ‘ से किया। डाक्टर वीरेन नन्दा ने बालका गृह कांड पर रचित अपनी कविता ‘ हंसी ‘  सुनाकर वर्तमान सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक विकृतियों का पर्दाफाश किया। डॉक्टर संजय पंकज ने इस अवसर  पर बच्चों का उद्बोधन करते हुए जब ‘  अच्छा बोलो  अच्छा सोचो ,अच्छा करो विचार /  अच्छे-अच्छों के कारण ही अच्छा है संसार  ‘ सुनाई त़ब उपस्थित लोगों ने  उन्हें और सुनाने का आग्रह किया। फिर उन्होंने दो मुक्तकें – ‘ मोल भाव का अपना कोई कभी रहा बाजार नहीं, जिसमें सबका नहीं छलकना वह अपना संसार नहीं ‘ और  पूछ रहे हो नाम हमारा / क्यों इन मजहबदारों से / अगर जानना चाहो मुझको / पूछो पहरेदारों से/ कभी सियासत के टुकड़ों पर  बेंचा है ईमान नहीं / ‘   सुना कर आयोजन को परवान चढा दिया।
पाठशाला के बच्चों द्वारा  संवाद कार्यक्रम में उपस्थित सभी 40  बुजुर्गों एवं अन्य अतिथियों को पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया । ये पुस्तकें  डाक्टर संजय पंकज , डाक्टर वीरेन नन्दा एवं बंदरा के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी विजय ठाकुर के सौजन्य से प्राप्त हुई थीं। इसके बाद  पाठशाला के बच्चों को उनकी प्रस्तुति के लिए पुस्तकें देकर  पुरस्कृत किया गया। वरिष्ठ नागरिक और सेवानिवृत शिक्षक  , बहादुरपुर  ( गायघाट ) रामविनोद चौधरी ने बदलाव पाठशाला को  इस आयोजन के लिए 500  रूपये की सहयोग राशि प्रदान की।  इस अवसर पर वीरेन्द्र प्रसाद ठाकुर, अमरनाथ दिवाकर, धीरेन्द्र ब्रह्मचारी, चंदेश्वर वर्मा , शत्रुघ्न प्रसाद, रामविनोद पांडेय, राधेश्याम प्रसाद ठाकुर , लखेन्द्र ठाकुुर , सुनील श्रीवास्तव, विमल सिंह, वेददत्त शर्मा  भी उपस्थित थे। पाठशाला के स्वयंसेवी शिक्षक बिन्देश्वर राय, मणिकांत , शिलकांत और शीलमणि के नेतृत्व बदलाव पाठशाला के सीनियर छात्रों का आयोजन की तैयारी में प्रमुख योगदान रहा। धन्यवाद ज्ञापन सीनियर सिटीजन्स के बंदरा प्रखंड अध्यक्ष श्यामनन्दन ठाकुर ने किया।


ब्रह्मानंद ठाकुर।बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के निवासी। पेशे से शिक्षक। मई 2012 के बाद से नौकरी की बंदिशें खत्म। फिलहाल समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा में जुटे हैं। मुजफ्फरपुर के पियर गांव में बदलाव पाठशाला का संचालन कर रहे हैं।