टीवी की डिबेट का स्तर चौक-चौराहे की चर्चा से भी बदतर-सच्चिदानंद जोशी

टीवी की डिबेट का स्तर चौक-चौराहे की चर्चा से भी बदतर-सच्चिदानंद जोशी

बदलाव प्रतिनिधि, गाजियाबाद

प्रेस की स्वतंत्रता एवं मीडिया का आत्म नियमन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया संगोष्ठी गाजियाबाद के वैशाली में हुई। निस्कार्ट मीडिया कॉलेज, वैशाली गाजियाबाद और यूरेका पब्लिकेशन, पुणे  ने मिलकर इस संगोष्ठी को आयोजित किया। राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि श्री सच्चिदानंद जोशी को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरुस्कार दिया गया। सच्चिदानंद जोशी ने कला-संस्कृति और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के तौर पर उन्होंने युवा पत्रकारों की एक नई सजग फौज तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। इसके साथ ही जब छत्तीसगढ़ में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई तो बतौर कुलपति उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। शहरी और ग्रामीण पत्रकारिता का एक कनेक्ट बनाने में इस विश्वविद्यालय का योगदान उल्लेखनीय है। निस्कोर्ट मीडिया कॉलेज के डायरेक्टर डॉ जोश मुरिकिन ने श्री सच्चिदानंद जोशी को सम्मानित किया।

इस मौके पर सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि आज एक बहस जारी है कि न्यूज़ पेपर को न्यूज़ देना चाहिए
या अपने व्यूज देने चाहिए। आदर्श तौर पर दोनों अलग होने चाहिए। पर आज  अखबार में न्यूज़ नहीं मिलती बल्कि व्यूज़ ही छपे हुए हैं। टीवी की डिबेट सब्जी वाले के साथ होने वाली डिबेट से भी गई गुजरी हो चुकी है। उनकी माने तो चौक चौराहे की चर्चा से भी बदतर हो गई है ये चर्चा। सोशल मीडिया सबसे ज्यादा अनसोशल मीडिया बन चुका है और एक इंडस्ट्री में तब्दील हो चुका है। सच्चिदानंद जोशी इन दिनों दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर ऑफ आर्ट्स में बतौर मेंबर सेक्रेटरी सांस्कृतिक क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं।
सीनियर एंकर एवं पत्रकार साक्षी जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा कि उन्हें हर पोलिटिकल पार्टी की तरफ से बुरी तरह ट्रोल किया जाता है क्योंकि कोई भी पार्टी प्रश्न पूछने वालों को पसन्द नहीं करती। आज भारत प्रेस स्वतंत्रता के क्षेत्र में विश्व में 138 वें पायदान पर है। निसन्देह  एक मजबूत लोकतांत्रिक देश के लिए यह एक असहज स्थिति है। पत्रकार होने की वजह से नहीं बल्कि देश के नागरिक होने के नाते भी यह जिम्मेदारी ही नहीं अधिकार भी है कि किसी भी सरकार से जो अपने घोषणापत्र के वादे पूरे नहीं करती है तो प्रश्न पूछे जाएं। साक्षी जोशी करीब डेढ़ दशक से ज्यादा वक्त से मीडिया में सक्रिय हैं और टोटल टीवी से लेकर इंडिया टीवी तक कई बड़े संस्थानों में अहम जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। साक्षी जोशी इन दिनों न्यूज 24 की संपादकीय टीम का हिस्सा हैं।
प्रिंसिपल डॉक्टर ऋतु दुबे तिवारी ने अपने की-नोट में मीडिया की अपरिमित शक्तियों को सकारात्मक रूप से उपयोग करने पर बल दिया। मीडिया के आत्म-नियमन को भारत में प्रभावी ढंग से अपनाने के विभिन्न पक्षों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के पहले दिन 10 पेपर  मीडिया के विभिन्न विषयों पर  प्रस्तुत किये गए। डिवाइस मैकेनिज्म फॉर अलटरनेट मैथड्स ऑफ कंटेंट एवोल्यूशन’ विषय से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसे मीडिया विशेषज्ञ, लेखक आशीष कौल (मुंबई) ने  कन्डक्ट किया।