लॉक डाउन 2 बड़ी चुनौती, सख्त अनुशासन जरूरी

लॉक डाउन 2 बड़ी चुनौती, सख्त अनुशासन जरूरी

चीन से शुरू हुआ कोरोना संकट पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है । पूरी दुनिया में अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है । हिंदुस्तान में भी कोरोना तेजी से फैल रहा है । अब हर दिन एक हजार मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए जाने लगे हैं । आंकड़ों को देखा जाए तो हिंदुस्तान में करीब-करीब वैसे ही हालात हैं, जैसे इटली में एक महीने पहले थे । इटली में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा मौत हो चुकी है । ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कोरोना से हिंदुस्तान जिस तरीके से निपट रहा है क्या वो कारगर तरीका है । दुनिया के कई देश हिंदुस्तान की तारीफ भी कर रहे हैं लेकिन एक अरब 30 करोड़ की आबादी वाले देश में लॉकडाउन ही सबसे कारगर और आखिरी विकल्प है । अगर लॉकडाउन पिछले 18 दिन से जारी है तो फिर इतनी तादाद में कोरोना के मरीज कैसे सामने आ रहे हैं । कहीं लॉक डाउन में कोई चूक तो नहीं हुई । क्या आगे अभी और संकट गहरा सकता है इन तमाम मामलों को लेकर टीम बदलाव के साथी अरुण प्रकाश ने दिल्ली सरकार के बड़े अफसर प्रशांत कुमार से बात की । फरवरी के आखिरी हफ्ते में लॉकडाउन के बीच जब दिल्ली से पलायन हो रहा था तब प्रशांत जी ने कई सुझाव दिए थे कमोबेस सरकार भी उसी दिशा में आगे बढ़ी लिहाजा अब हिंदुस्तान के सामने क्या चुनौती है इसको लेकर प्रशांत जी से लंबी बातचीत हुई ।

बदलाव- पिछली बार जब आप से बात हुई तो मजदूर काफी संख्या में पलायन कर रहे थे, हालांकि अब पलायन रुका हुआ है, क्या सरकार के लिए ये एक अच्छा संकेत है ?

प्रशांत कुमार- मैंने पिछली बार आपसे कहा था कि हमें मजदूर वर्ग को एक योजना बद्ध तरीके से उनके गृहजनपद भेजने की दिशा में काम करना होगा, लेकिन पिछले दो हफ्तों में हम उस दिशा में उचित कदम नहीं उठा पाए हैं । उस बारे में सरकार क्यों नहीं कदम उठा रही मुझे भी नहीं समझ आ रहा, लेकिन ये काफी विस्फोटक स्थिति है । जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ेगा मजदूरों का धैर्य जबाव देने लगेगा। शुक्रवार को सूरत में जो कुछ हुआ वो सभी ने देखा

बदलाव- अगर सभी को भेजने की कोशिश होगी तो अव्यवस्था बढ़ जाएगी और उसे संभालना मुश्किल होगा ।

प्रशांत कुमार- मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं । क्योंकि बाद में जो संकट आएगा वो ज्यादा खतरनाक होगा । क्या कोई ये बता सकता है कि आखिर अभी कितने मरीज हैं या फिर कितने इलाकों में कोरोना फैल चुका है ।

बदलाव- लॉकडाउन के बाद भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में क्या समझा जाए लॉकडाउन कारगर नहीं हुआ?

प्रशांत कुमार- ये कहना गलत होगा कि लॉकडाउन कारगर नहीं है । लॉकडाउन से कोरोना को फैलने से रोकने में काफी हद तक मदद मिली है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है । हमें कंप्लीट लॉकडाउन करना होगा साथ ही जांच में तेजी लानी होगी ।

बदलाव- दिल्ली समेत कुछ राज्यों में रैंडम सैंपलिंग शुरू हो चुकी है । इससे कितनी मदद मिलेगी ?

प्रशांत कुमार- मैं पहले से ही कह रहा हूं कि जांच का दायरा जितना बढ़ेगा उतनी ही जल्द कोरोना संकट से निपटा जा सकता है और लॉकडाउन खत्म करने पर भी विचार हो सकता है । लेकिन अभी लॉकडाउन खत्म करने का वक्त नहीं बल्कि इसे और सख्ती से लागू करना होगा ।

बदलाव- जिन इलाकों को हॉट स्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है वहां सख्ती बरती जा रही है, ऐसे में क्या जिन इलाकों में कोरोनी मरीज नहीं मिले हैं वहां भी सख्ती बढ़ानी चाहिए ?

प्रशांत कुमार-  देखिए पहली बात तो ये कि हमने अभी रैंडम सैंपलिंग सिर्फ हॉट स्पॉट वाले इलाकों में ही शुरू की हैं । यानि जिन इलाकों में मरीज मिले हैं उसके आसपास के इलाके में ही रैंडम सैंपलिंग की जा रही है । ऐसे में जिन इलाकों में मरीज नहीं मिले हैं वहां बिना जांच हम कैसे निश्चिंत हो सकते हैं कि वहां कोरोना का कोई मरीज नहीं है । इसलिए हमारा फोकस सिर्फ और सिर्फ हॉटस्पॉट पर आकर रुक गया है,जबकि होना ये चाहिए कि हॉट स्पॉट के साथ हर सोसायटी और क्षेत्र में रैंडम सैंपलिंग ली जाए । हमें जांच का दायरा बढ़ना होगा तभी इस मुश्किल घड़ी से जल्द निकला जा सकता है । हम जांच में जितनी देरी करेंगे उतना ही कोरोना को बढ़ने का मौका मिलेगा ।

बदलाव- कंप्लीट लॉक डाउन से आपका आशय क्या है, क्या सभी इलाके को सील कर देना चाहिए ?

प्रशांत कुमार- बिल्कुल, अब एक्सपेरिमेंट करने का वक्त नहीं रहा! लोग सब्जी और राशन लेने के लिए घर से हर रोज निकल रहे हैं, मंडियों में रोजाना भीड़ लग रही है, देश के तमाम इलाकों से भी ख़बरें ऐसी ही आ रही है, ऐसे में आप ये कैसे सोच सकते हैं कि वहां कोरोना नहीं पहुंचा होगा । या जो लोग घर से निकल रहे हैं वो सुरक्षित हैं । अगर आप घर से बाहर कदम रख रहे हैं तो यकीन मानिए आप बिल्कुल सुरक्षित नहीं है । इसलिए हमें कम से कम एक महीने का कंप्लीट लॉक डाउन कर जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए। लोगों को दिक्कत ना हो इसके लिए राशन से लेकर जरूरी सामानों की घर घर सप्लाई का इंतजाम किया जाए । सप्लाई करने वालों की भी नियमित अंतराल के बाद जांच की जानी चाहिए ।

बदलाव-बड़ी संख्या में डॉक्टरों के संक्रमित होने की ख़बर भी आ रही है । इसके पीछे वजह क्या है?

प्रशांत कुमार- डॉक्टर भी इंसान ही हैं, लिहाजा अगर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं मिलेंगे और वो खुद सावधानी नहीं बरतेंगे तो आने वाले दिनों में ऐसे मामले और बढ़ेंगे । शुरुआती दिनों में हम पीपीई की समस्या से जूझते रहे, हालांकि अब जाकर थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, लेकिन अभी पर्याप्त नहीं है ।

बदलाव- कोरोना को भारत में दस्तक दिए हुए 2 महीने बीत चुके हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि हम कोरोना से अच्छी तरह निपट रहे हैं?

प्रशांत कुमार- देखिए महामारी के वक्त हर देश अपने संसाधनों के हिसाब से ही लड़ने की कोशिश करता है । हमारे पास भी जो संसाधन हैं उसी के हिसाब से हम इस चुनौती को लड़ने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन मुझे लगता है कि ज्यादातर सरकारें संकट की इस घड़ी में भी पॉलिटिकली करेक्ट दिखने की कोशिश कर रही हैं, जबकि ये वक्त सिर्फ पॉलिटिकली करेक्ट होने का नहीं बल्कि सोशली करेक्ट और संवेदनशील बनने का है । हमें पूरी ईमानदारी से लड़ने की कोशिश करते रहनी चाहिए ।

बदलाव- ऐसा माना जा रहा है कि तबलीगी जमात की वजह से कोरोना हिंदुस्तान में विकराल हुआ ?

प्रशांत कुमार- ऐसे ही सवालों की वजह से मैंने पहले ही कहा कि हमें पॉलिटिकली करेक्ट होने की कोशिश से ज्यादा ईमानदार कोशिश पर फोकस करना होगा । कोरोना चीन में पैदा हुआ और हवाई जहाज से विदेश से भारत में आया। इसलिए हमें इसे सिर्फ इस रूप में देखना चाहिए कि ये एक विदेशी वायरस है जिसके चपेट में हर हिंदुस्तानी आया है । रही बात जमात की तो जमात में भी विदेश से ही लोग आए। जिन देशों से ये लोग आए वहां पहले से ही कोरोना फैला हुआ था ऐसे में उसे समझने की चूक सरकारी, प्रशासनिक और सामाजिक हर स्तर पर हुई है । लिहाजा इसे किसी के ऊपर छोड़कर हम अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते । ये वक्त अपनी नाकामी पर पर्दा डालने का नहीं है बल्कि उससे सीख लेकर एक कदम आगे बढ़ने का है

बदलाव- कोरोना संकट में हिंदुस्तान का मीडिया क्या अपना रोल ठीक से निभा रहा है ?

प्रशांत कुमार- सच कहूं तो मीडिया अपनी भूमिका भूल चुका है, अगर मीडिया सजग रहा होता तो कोरोना भारत में एंट्री के वक्त ही पकड़ में आ जाता । जब 30 जनवरी को कोरोना का पहला केस आया तो कुछ एक मीडिया प्लेटफॉर्म के अलावा कहीं कोई ख़बर ही नहीं नजर आई । जिससे प्रशासन और सरकार सभी शिथिल रहे । इसलिए इस संकट की घड़ी में लोकतंत्र के हर स्तंभ को पूरी ईमानदारी से लड़ना होगा, तभी हम मौजूदा संकट से जल्द उबर पाएंगे ।

बदलाव- कोरोना संकट हमारी अर्थव्यवस्था पर कितना असर डालेगा ?

प्रशांत कुमार- कोरोना की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी इसमें कोई संदेह नहीं, लेकिन पहले से ही गिरावट झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर यही होगा कि हम जल्द से जल्द इस संकट से उबरने की कोशिश करें । वैसे कोरोना संकट के बाद हिंदुस्तान में बहुत कुछ बदलेगा, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते, लेकिन अभी हमें सिर्फ और सिर्फ कोरोना संकट से जल्द से जल्द उबरने की दिशा में हो सोचना चाहिए ।

बदलाव- सरकार और जनता के लिए कोई सुझाव देना चाहेंगे ?

प्रशांत कुमार-  सरकार को चाहिए कि जांच का दायरा बढ़ाए और जितनी जल्दी हो सके ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच कराए । हॉट स्पॉट के अलावा भी जांच की जाए । जनता को लंबा और सख्त लॉकडाउन झेलने के लिए भी तैयार रहना चाहिए । लोग जितना कम से कम बाहर निकलेंगे उनके लिए उतना ही बेहतर होगा ।

बदलाव से बात करने के लिए शुक्रिया