मौजूदा शिक्षा नीति पर कुढ़नी से उठे सवाल

मौजूदा शिक्षा नीति पर कुढ़नी से उठे सवाल

बदलाव प्रतिनिधि

आल इण्डिया डेमोक्रेटिक स्टूडेन्ट्स आर्गेनाइजेशन ने मुजफ्फरपुर के एम आर एस हाईस्कूल ,मनियारी में 28 जुलाई को छात्र छात्राओं का एक सम्मेलन आयोजित किया। यह सम्मेलन एआईडीएसओ के कुढनी प्रखंड कमिटी की ओर से आयोजित था। जुलूस में शामिल छात्र – छात्राएं शिक्षा के बाजारीकरण, शिक्षकोंं के खाली पदों पर नियमित बहाली, जनवादी और वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति लागू करने , पहली कक्षा से पास – फेल प्रणाली फिर से चालू करने , प्रयोग शाला में आवश्यक उपकरण उपलब्ध करान, अश्लील गाने , सिनेमा और साहित्य के प्रचार प्रसार पर रोक लगाने, हाईस्कूलों में प्रायोगिक कक्षाएं शुरू कराने, छात्रों की संख्या के अनुपात मे वर्गकक्ष , उपस्कर आदि संसाधनों की व्यवस्था करने, शिक्षा के निजीकरण और व्यापारी करण पर रोक लगाने आदि की मांग कर रहे थे। निजीकरण के कारण आम आदमी की पहुंच से लगातार दूर होती जा रही शिक्षा और सरकारी शिक्षण  संस्थाओं की बदहाली के विरोध में  ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों में आक्रोश है।

छात्रों के इस सम्मेलन का उद्घाटन मनियारी हाईस्कूल के प्राचार्य उपेन्द्र ठाकुर ने किया। उन्होंने कहा कि छात्रों मे अध्ययन के प्रति अभिरुचि लगातार कम होती जा रही है। मोबाईल और सोशल मीडिया के चक्कर में छात्र अपनी पढाई – लिखाई भूलते जा रहे हैं। अभिभावकों को इसपर ध्यान देने की जरूरत है। भूमंडलीकरण का दुष्प्रभाव आज शिक्षा पर प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। रामदयालु सिंह कॉलेज , मुजफ्फरपुर के इतिहास विभाग के प्राध्यापक डाक्टर एम एन रिजवी ने कहा कि  सरकारी शिक्षण संस्थानों की शिक्षा के क्षेत्र मे जो भूमिका थी, वह अब नहीं रही। इसमें आई गिरावट के लिए सरकार की शिक्षा नीति जिम्मेवार है। एआईडीएसओ की राज्य कमिटी सदस्य सुश्री अंजली ने शिक्षा की दुर्व्यवस्था के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा और स्वास्थ्य पूरी तरह बाजार के हवाले कर दिया गया है। सरकारी शिक्षण संस्थानों को बंद करने की साजिश की जा रही है। स्थिति यह हो गई है कि जिसके पास पर्याप्त पैसे हैं उन्हीं को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा मिल रही है। इस स्थिति से मुक्ति के लिए  सशक्त जनान्दोलन की जरूरत है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि स्वतंत्र पत्रकार ब्रहमानन्द ठाकुर ने कहा कि सवाल इस या उस पार्टी की सरकार का नहीं है, सवाल उसके वर्गचरित्र का है। नरेन्द्र मोदी जी की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में उन्ही नीतियों और कार्यक्रमों को आगे बढा रही है जिसे कभी केन्द्र की पूर्ववर्ती सरकारों ने लागू किया था। उन्होने कहा कि  राजीव गांधी की सरकार ने 1986  में जब नई शिक्षा नीति लागू की थी तभी शिक्षा के बाजारीकरण का रास्ता साफ हो गया था। ऐसा उन्होंने विश्वव्यापार संगठन के दबाव में किया था। इसकी रही -सही कसर  शिक्षा का अधिकार अधिनियम ने पूरी कर दी। 1 ली से 8 वीं तक की कक्षा के लिए पास – फेल प्रणाली का खत्म किया जाना शिक्षा के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ। इस बारे में कई स्वतंत्र एजेन्सियों ने अपनी प्रतिकूल टिप्पणी भी की है। केन्द्र की वर्तमान सरकार ने इसमें कुछ परिवर्तन करते हुए 5 वीं और 8 वीं कक्षा में परीक्षा की व्यवस्था लागू की है।
सम्मेलन मे तरन्नुम , लालबाबू महतो, ,रौशन कुमार रवि ,विजय कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता एआईडीएसओ के बिहार राज्य अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने किया। सम्मेलन में एआईडीएसओ की  21 सदस्सीय कुढनी प्रखंड कमिटी का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष उत्पल कुमार और सचिव राजन कुमार बनाए गये।