किसान कर्ज माफी… ये वादे हैं वादों का क्या ?

किसान कर्ज माफी… ये वादे हैं वादों का क्या ?

आशीष सागर

यूपी में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो इसके पीछे किसानों का बहुत बड़ा योगदान रहा । केंद्र से लेकर प्रदेश तक सदन केसरिया रंग से रंगा है, लेकिन जिन किसानों ने बीजेपी को भारी बहुमत दिलाने में मदद की आज वही किसान बेसहारा नज़र आ रहा है । यूपी में योगी सरकार बनने के बाद सूखे बुंदेलखंड में 17 किसानों की जमीन कुर्क करने का फरमान सुना दिया गया । 23 मार्च को एसबीआई ने ऑन लाइन नीलामी प्रक्रिया के जरिए 17 किसानों के ट्रैक्टर नीलाम कर दिये और बाकी बकाया रकम जमीन कुर्क कर वसूलने की धमकी दी । एसबीआई के इस फैसले से किसान सकते में हैं लेकिन पहली कैबिनेट बैठक में किसान कर्ज माफी का वादा कर सत्ता में आई बीजेपी सरकार ने चुप्पी साध रखी है।  प्रदेश के मुखिया किसानों की कर्जमाफी पर मौन धारण किए हुए हैं ।

चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर रैली में गला फाड़-फाड़ कर सूबे के किसानों को यकीन दिया कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तो पहली कैबिनेट में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा । लोकसभा चुनाव में 15 लाख रुपये देने के जुमले को भुलाकर किसानों ने दिल खोलकर बीजेपी को वोट किया । शायद इस उम्मीद में कि केंद्र के साथ प्रदेश में बीजेपी सरकार आने से उनका कर्ज माफ हो जाएगा और जब इस बात का दावा खुद देश का प्रधानसेवक कर रहा हो तो भला किसान क्यों ना यकीन करे । नतीजी ये हुआ कि कर्ज माफी की उम्मीद पाले किसानों ने बुंदेलखंड रीजन की सभी 19 सीटें बीजेपी की छोली में डाल दी, लेकिन विडंबना देखिए कि किसानों ने बीजेपी को 19 सीटों की सौगात दी तो बदले में सरकार ने 17 किसानों की संपत्ति नीलाम करने का दर्द दे दिया ।

हैरानी की बात ये कि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ एंटी रोमिया दस्ता और बूचड़खाने में उलझे पड़े हैं । सरकारी अफसरों से दफ्तरों में अफसरों और मुलाजिमो से झाड़ू लगवाने का फरमान सुनाने में देर नहीं कर रहे । हर तरफ मीडिया में सुर्खियां बन रही हैं कि एक्शन में योगी सरकार, लेकिन किसानों की कर्जमाफी पर सीएम मौन साधना में डूबे हैं इसपर कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है । किसानों की कर्जमाफी और सूखे बुंदेलखंड में बीजेपी को मिली सीटों की हरियाली का समीकरण समझने के लिए चुनाव घोषणा से पूर्व नवंबर महीने में किसानों को बैंकों की ओर से मिली नोटिस का वोट दिन याद कीजिए ।

बैंक कर्जदारों पर सीधी कार्रवाई की बजाय लोक अदालत की आड़ में किसानों से कर्ज वसूलने की जुगत में जुटे थे ।  एक आंकड़े के मुताबिक जिले में बैंकों की ओर से 13,361 कर्जदार किसानों पर पूर्व विवाद /वसूली वाद का मामला सिविल कोर्ट में दाखिल कराया गया । जिस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने कर्जदार किसानों को नोटिस जारी कर 12 नवंबर को लोक अदालत में तलब किया ।अदालत की ओर से भेजे गए नोटिस में साफ-साप लिखा था कि – कर्जदार किसान 12 नवंबर को सुबह 10 बजे लोक अदालत के समक्ष उपस्थित होकर बैंक द्वारा आयोजित विशेष अभियान में रियायतों को प्राप्त कर भविष्य में होने वाली असुविधाओं और अप्रिय परिस्थितियों से बचें । साथ ही समझौते के समय पूरी या आंशिक राशि अवश्य लाएं ।बैंक का नोटिस मिलने से किसान परेशान हो गए । इस दौरान कई किसानों की जान भी चली गई । जिन किसानों को नोटिस जारी किया गया उनकी संख्या करीब 13 हजार 361 बताई थी । जिनके ऊपर कुल बकाया महज  22 करोड़ 76 लाख 990 रुपये का कर्ज था । यानी प्रति किसान औसतन 17 हजार 600 रुपये का ही बकाया होगा ।

बैंकों की मनमानी का ये आलम तब था जब तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने किसानों से कर्ज वसूली पर रोक लगा रखी थी लेकिन बैंक पिछले दरवाजे से किसानों पर दबाव लगातार बनाए हुए थे । इसी बीच यूपी में विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ और पीएम मोदी समेत बीजेपी को संकल्प पत्र में किसान कर्ज माफी का वादा किया गया । पीएम ने ऐलान किया कि बीजेपी की पहली कैबिनेट में कर्ज माफी का ऐलान होगा । बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बदहाल किसानों को कार देने का भी वादा किया । लेकिन कर्ज और कार तो मिलना दूर किसानों का ट्रैक्टर नीलाम होने लगा है । जिन सत्रह किसान के ट्रैक्टर नीलामी हुए उनके ऊपर अब भी करीब 28 लाख 68 हजार 660 रूपये कर्जा बकाया है जो उनके खेत की बिकवाली से पूरा किया जायेगा ऐसा फरमान एसबीआई की ओर से किया गया है । किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार कहते है कि केंद्र की मोदी सरकार को ब्याज मुक्त कर्जा देकर किसान को संभलने का वक्त देना चाहिए । जेटली के बयान पर शिवनारायण का कहना है कि आखिर जब उद्योगपति अरबों रुपये हजम कर देश से फरार हो जाते हैं , बैंक कारोबारियों का बकाया नहीं वसूल पाती ऐसे में क्या देश के अन्नदाता को भगवान भरोसे छोड़ देना कहां तक जायज है । फिलहाल किसानों को इंतजार है योगी सरकार की पहली औपचारिक कैबिनेट बैठक की ।


ashish profile-2बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट फेसबुक पर एकला चलो रेके नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। आप आशीष से [email protected] इस पते पर संवाद कर सकते हैं।