संध्या कश्यप दुनिया से जीती, जीती खुद से हारी …बस ध्वस्त खड़ी हूँ मैं …!!! स्वानंद किरकिरे की ये पंक्तिया
Category: मेरा गांव, मेरा देश
फूलन देवी की मां को किस कसूर की सज़ा?
एक समय में जिस फूलन के नाम से सरकार और शासन का पसीना छूटता था और अधिकारी त्राहि-त्राहि करते थे,
गिर ना पड़े शिवराज की ‘सवारी’
शिरीष खरे गणेश पाटीदार को मध्य-प्रदेश केभोपाल से करीब 350 किलोमीटर दूर बड़वानी पहुंचने में कोई 8 घंटे का सफर
हम प्यासे मरेंगे और वो हमारी नदियों का पानी बेचेंगे…
मैगसेसे और स्कॉटहोम वाटर जैसे पुरस्कारों से नवाजे गए जल वैज्ञानिक राजेन्द्र सिंह का कहना है कि केंद्र की मोदी
‘ग़म-ए-वोट’ में कुछ यूं बदले ‘गेम-ए-कैबिनेट’ के कायदे
प्रणय यादव उम्मीदें बहुत थीं। बातें बहुत थीं। दावे बहुत थे। लेकिन हुआ क्या? जो हुआ वही तो होता आया
किसानों का संकटमोचक ‘रहट’ कहां गुम हो गया?
अरुण यादव रहट नाम से क्या आपके जेहन में कोई तस्वीर खिंचती है। क्या आप रहट के बारे में जानते
‘क्षिप्रा’ और ‘नर्मदा’… नदियों के ‘जबरिया मिलन’ की अंतर्कथा
शिरीष खरे इंदौर जिले का उज्जैनी गांव 29 नवंबर, 2012 को एक ऐतिहासिक फैसले का गवाह बना था। ये वही
सिमटती खेती, बढ़ती परेशानियां
सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा दोआबा… यानि दो बहते दरिया के बीच का इलाक़ा। यह ‘दो’ और ‘आब’ शब्दों के जोड़ से
आदिवासियों की उपेक्षा कब तक ?
सत्येंद्र कुमार यादव अगर हम सवाल करें कि दिल्ली में बैठे पत्रकार आदिवासियों के बारे में कितना समझते हैं तो
ट्रैक्टर बिक्री में सबसे तेज बढ़ते राज्य की दुर्दशा
शिरीष खरे साल 2014 में अकेले मध्य-प्रदेश के किसानों ने 88 हजार ट्रैक्टर खरीदे थे। तब सूबे में 32 प्रतिशत