उद्योगपतियों की उम्मीदों को अमलीजामा पहनाने वाला बजट

उद्योगपतियों की उम्मीदों को अमलीजामा पहनाने वाला बजट

पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार

यह बजट कार्पोरेट, शेयर बाज़ार और बड़ी कम्पनियों को सम्बोधित था। किसानों को सिर्फ ताने मिले। बजट में सबसे अधिक सुने गये शब्द थे विनिवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर, बीमा, पॉवर सेक्टर, उद्योग, कम्पनियां वगैरह। सबसे कम चर्चा शिक्षा और रोजगार की हुई। कुपोषण और एनिमिया जैसे शब्द का तो जिक्र भी नहीं आया। सेहत के नाम पर सिर्फ कोरोना से सुरक्षा की बात हुई। बीमा में निवेश का दायरा बढ़ाना, नेशनल hydrogen पोलिसी, सरकारी कम्पनियों की सेल और उनकी खाली पड़ी जमीन का मोनेटाइजेशन आदि ऐसे प्रसंग थे जिनके बारे में गम्भीरता से समझने की जरूरत है। जैसा कि पहले कहा गया किसानों को सिर्फ ताने दिये गये कि उनके लिए सरकार ने कितना कुछ किया है। काश सरकार सीमान्त किसानों के लिए ही एमएसपी को अनिवार्य करने का फैसला ले पाती।

प्रवासी मजदूरों के लिए वन नेशन वन राशन वाली बात अच्छी लगी। साथ ही उनके लिए किसी कॉमन प्लेटफार्म की भी बात कही गयी। इसका स्वागत किया जाना चाहिये। मगर हमें बड़े फैसलों की उम्मीद थी। सभी शहरी मजदूरों को ईएसआई में शामिल किया जाना चाहिये था। बजट भाषण सुनकर जो समझ में आया वह यही था। अब आगे इसे पूरा पढ़कर लिखने की कोशिश की जायेगी। इसमें कोई तथ्य ठीक नहीं हो तो बताईयेगा।