मानसिक रोगियों की  सुध कब लेगी बिहार सरकार ?

मानसिक रोगियों की सुध कब लेगी बिहार सरकार ?

पुष्य मित्र

आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस है। इस मौके पर आपसे एक सूचना साझा करना है कि रांची के कांके स्थित मानसिक आरोग्यशाला में बिहारी मरीजों का इलाज करने पर रोक लगी हुई है। यह रोक हाल ही में लगी है।दरअसल इस अस्पताल का बिहार सरकार पर 76 करोड़ रुपया बकाया हो गया है। अस्पताल कहता है कि पहले बिहार सरकार बकाया राशि का भुगतान करे, फिर हम बिहार के मरीजों का भुगतान करेंगे। राज्य बंटवारे के बाद बिहार के पास कोई मानसिक आरोग्यशाला नहीं थी। तब रांची के रिनपास के साथ बिहार सरकार का समझौता हुआ था कि वह बिहार से गये मरीजों के इलाज के लिए रिनपास को 900 रुपये प्रति मरीज, प्रति दिन के हिसाब से भुगतान करेगा। 2011 तक इस राशि का भुगतान हुआ भी, फिर सरकार भूल गयी। अब बकाया 76 करोड़ हो गया है।

हालांकि बाद के दिनों में आरा के कोईलवर में बिहार सरकार ने अपने मानसिक आरोग्यशाला की स्थापना की। मगर उसका हाल काफी बुरा रहता है। अक्सर मरीजों के मरने या भाग जाने की खबर मिलती है। इसलिये वहां सिर्फ कैदियों और लावारिस, अज्ञात मानसिक रोगियों को भरती कराया जाता है। आम मानसिक रोगी वहां जाने की हिम्मत नहीं करते।बिहार सरकार का इस दिशा में कोई ध्यान नहीं है। न वह रिनपास का बकाया चुका रही है, न कोईलवर के मानसिक आरोग्यशाला की स्थिति सुधार रही है। जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में मानसिक रोगियों की संख्या 1,26,772 है।

इस बारे में लिखने के लिए कोईलवर के पत्रकार साथी Diepack David अक्सर आग्रह करते हैं। उनके कहने पर मैं एकबार वहां गया भी थी। तब खबर भी लिखी थी, मगर अखबार में किसी अज्ञात वजह से छप नहीं पायी। इस बार भी उन्हीं के कहने पर यह पोस्ट लिखी है।