पेड़ों की छांव तले बाल मन की गूंज

पेड़ों की छांव तले बाल मन की गूंज

bal-kavi-allवैशाली , गाजियाबाद 27 नवंबर 2016। “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” के अंतर्गत 26वीं साहित्य गोष्ठी वैशाली सेक्टर चार के हरे भरे मनोरम सेंट्रल पार्क में सम्पन्न हुई। हिन्दी साहित्य से संबन्धित अभिनव प्रयोग की यह श्रंखला प्रत्येक माह के अंतिम रविवार के अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार ही मध्यान्ह 1 बजे से प्रारंभ हुई। इस बार का यह साहित्यिक आयोजन अपने बाल –गोपाल की सृजनात्मकता को समर्पित रहा। पेड़ों की छांव तले रचना पाठ के तत्वाधान में बाल मौलिक रचना पाठ प्रतियोगिता -2016 में 8 वर्ष से 15 वर्ष तक की उम्र के 27 बालक – बालिका शामिल हुए।

बच्चों द्वारा पढ़ी जाने वाली रचनाएँ मौलिक रहीं जिसमें पर्यावरण , देशभक्ति , माँ विषय प्रमुखता से रहे जबकि कुछ बाल रचनाएँ नवीन और सामयिक विषयों पर थी । उदीयमान बाल कवियों और कहानीकारों द्वारा भ्रष्टाचार और सामाजिक ताने बाने से जुड़ी रचनाएँ प्रभावित कर गईं । नेशनल बुक ट्रस्ट की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित की गयी।

bal-kavi-pathइस कार्यक्रम में श्री वी.पी.गौड़, मुख्य अतिथि , निदेशक (रा.भा.), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने हिन्दी को देश की स्वतंत्रता से जोड़ते हुए प्रतिभागी बच्चों को आशीर्वाद दिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे सुप्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि, बाल-साहित्यकार, अनुवादक एवं चिन्तक प्रोफेसर दिविक रमेश ने बच्चों को लेखन की बारीकियां बतलाईं। साथ ही बाल रचनाकारों को मौलिकता के साथ लेखन के टिप्स दिए। उनको लीक से हट कर नए विषयों के चुनाव करने का सुझाव दिया। वरिष्ठ बाल साहित्यकार चर्चित स्तम्भकार श्री पंकज चतुर्वेदी ने लेखन के बिंबों की पहचान और लेखन के लिए आवश्यक प्रेरक घटनाओं को कलमबद्ध करने के टिप्स बच्चों को दिए। श्रीमती कुसुम लता सिंह, बाल साहित्यकार संपादक “परिंदे , काकषाढ़” साहित्यिक पत्रिका ने बच्चों को कहानी सुनाई और कहानी के तत्वों को बताया।

bal-kavi-ridhimaबाल मौलिक रचना पाठ प्रतियोगिता में निम्न माध्यमिक विद्यालय, वैशाली के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रमुख प्रतियोगियों में वैष्णवी बेगराजका, सामल्थ शेखर लाखी नागर, आयुष राय , निशु शर्मा , कंचन , पिंकी , मोहनी , मोहम्मद अकबर , अंजु खातून , नसरीन रहीं । बाल रचनाकारों की रचनाओं की स्क्रीनिंग को वरिष्ठ नवगीतकार श्री जगदीश पंकज व श्री संजय शुक्ल ने किया। सभी प्रतियोगी रचनाकारों को प्रमाण पत्र , किताबों से भरे फोल्डर आदि देकर पुरष्कृत किया गया। इस अवसर पर सर्वश्री कवि मनोज दिवेदी , कवियत्री इला कुमार, परिंदे पत्रिका के ठाकुर प्रसाद चौबे , प्रकाशक शिवानंद तिवारी , कवि अरुण राय , कपिल देव नागर , बी डी शर्मा , भूपेन्द्र मिश्रा , बाल किशन बेगराजका , हिमांशु शर्मा , नीतू शर्मा , टीवी पत्रकार व रंगकर्मी पशुपति शर्मा , प्रशांत तिवारी संचालक वेडिंग शादी डॉट कॉम की उपस्थित विशेष उल्लेखनीय रही।

गोष्ठी का सफल संचालन वरिष्ठ कवि अवधेश सिंह ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डा०वरुण कुमार तिवारी ने कहा की “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” कार्यक्रम दुनिया के दिखावे से दूर और वर्तमान आयोजन संबंधी तमाम खर्चों से परे विशुद्ध साहित्यक आयोजन है जिसमें निस्संदेह पुराने रचनाकारों का लेखन परिमार्जित होगा और स्वस्थ आलोचनाओं से नए लेखको और नए रचनाकारों को दिशा मिलेगी। बाल मौलिक रचना पाठ प्रतियोगिता इस दिशा में एक पहल है। गोष्ठी के समापन पर आभार व्यक्त करते हुए संयोजक कवि लेखक अवधेश सिंह ने इस गोष्ठी की निरंतरता को बनाए रखने का अनुरोध किया।

2 thoughts on “पेड़ों की छांव तले बाल मन की गूंज

  1. बदलाव डॉट काम को बहुत बहुत धन्यवाद व आभार । समाज के विभिन्न कोणो पर हो रहे बदलाव को पहचान देते हुए उस पर अपना सटीक विश्लेषण और नजरिया आपकी विशेषता है । ढेरों शुभकामनायें – अवधेश सिंह

  2. “चलो कवि धनखेतों की ओर ‘
    पेंडोकी छांव तले खेतों की हरियाली के बीच काव्य संध्या मतलब साहित्यिक आयोजन की असली जगह है ।संवेदना तो कुछ यहीं बची है ः

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