बागमती तटबंध पर ‘सुशासन’ का ‘विश्वासघात’ और जनता का आक्रोश

बागमती तटबंध पर ‘सुशासन’ का ‘विश्वासघात’ और जनता का आक्रोश

ब्रह्मानन्द ठाकुर
बिहार विधानसभा में जल संसाधन मंत्री द्वारा बागमती नदी पर तटबंध निर्माण फिर से शुरू कराए जाने की घोपणा की कड़ी निन्दा की गई है। इस सम्बंध में एक विशेष बैठक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता शाहिद कमाल जी के आवास पर आयोजित की गई.। बैठक की अध्यक्षता लोक कलाकार सुनील कुमार ने की।. सनद रहे कि जलसंसाधन मंत्री ने विधान सभा में जानकारी दी थी कि 548.13 करोड़ की लागत से बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना का कार्य किया जा रहा है। तटबंध निर्माण के विरुद्ध चास- वास – जीवन बचाऐ बागमती संघर्ष मोर्चा आंदोलनरत है। मंत्री द्वारा विधानसभा में दी गई इस जानकारी के बाद मुजफ्फरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता शहिद कमाल के निवास स्थान पर एका आपात बैठक आयोजात की गई । बैठक में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जी ने बागमती के संबंध में विस्तार से बताया कि भारत-नेपाल सीमा के ढेंग से शिवहर, सीतामढ़ी जिले को पार करती हुई मुज़फ़्फ़रपुर जिले के गायघाट प्रखंड के गंगिया गांव तक बागमती तटबंध के निर्माण का काम हो चुका है।

विगत आठ वर्ष पहले (2012) से तीव्र जन प्रतिरोध के कारण तटबंध निर्माण का काम लगभग रुका हुआ है। विगत तीन साल पूर्व (2018) जबरन निर्माण का काम शुरू हुआ तब लगभग दस हजार किसानों ने गायघाट (मुज़फ़्फ़रपुर) एवं दरभंगा जिले में हाईवे जाम कर दिया था। तब तटबंध निर्माण का काम सरकार ने रोक दिया था। उसी के बाद मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बागमती आंदोलन के प्रतिनिधि श्री अनिल प्रकाश से फोन पर बात की थी और आश्वासन दिया था कि वे बागमती आंदोलन की मांगों से सहमत हैं।

(क) तटबंध निर्माण रोक दिया गया है।
(ख) इसके उपरांत श्री ललन सिंह (तत्कालीन जल संसाधन मंत्री) ने श्री अनिल प्रकाश से सलाह करके एक रिव्यू कमिटी के गठन किया था। उस कमिटी में नदी विशेषज्ञ डॉक्टर डी के मिश्रा, आईआईटी के अर्थ साइंसेज विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के है प्रोफेसर राजीव सिंह और श्री अनिल प्रकाश को रखा गया। उस कमिटी की सिर्फ एक मीटिंग बुलाई गई। इस बीच विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुई बिहार कैबिनेट की में बागमती तटबन्ध निर्माण का एकतरफा निणय ले लिया गया।

अगर यह तटबन्ध बना तो मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले के लगभग 120 गांव नदी के अंदर आ जाएंगे और लगभग एक लाख लोग विस्थापित हो जाएंगे।
इसलिए पूरे इलाके के में हाहाकार मचा हुआ है। लोग जान दे देंगे लेकिन तटबन्ध नहीं बनने देंगे। बिहार सरकार के मंत्री द्वारा पुनः बागमती बांध बनाने को लेकर फैसला किया गया है इसकी निंदा की गई निंदा करने वालों में शाहिद कमाल, हेम नारायण विश्वकर्मा, रमेश पंकज, प्रो. अवधेश कुमार, राकेश कुमार, सोनू सरकार सहित सभी लोगों ने इस प्रस्ताव की निंदा की.
सभी लोगों ने सरकार से एक रिव्यू कमिटी के गठन करने की मांग की है।