नवनीत सिकेरा की फेसबुक पोस्ट के साथ पुलिसवालों की ज़िंदगी और उनकी जिम्मेदारी को लेकर एक बहस छिड़ी। अमृता कुशवाहा
Author: badalav
महामना! इन्हें माफ़ कर देना…
भूपेंद्र सिंह कोई भी देश अपने शासक से महान नहीं बनता है, वह महान बनता है अपने लोगों से, अपने
फंदे से लटकी बेटी… तेरी कहानी कैसे कहें?
संत प्रसाद लखनऊ में सारिका ने खुदकुशी की। इस पर तमाम ख़बरें चल रही हैं। सोशल साइट्स पर भी लोग
‘मोटी तोंद’ देखी, ‘फटी बनियान’ भी कभी तो देखो
नवनीत सिकेरा इस फोटो को मैं कई सालों से इंटरनेट पर देख रहा हूँ, पुलिस को लेकर लोग बुरा भला
‘लिक्विड ऑक्सीजन’ में ‘डार्लिंग विलेज’
शंभु झा मैं अभी हाल में अपने गांव से लौटा हूं। गांव की फितरत साठ के दशक की फिल्मी नायिकाओं
पूर्णिया में दहशत में क्यों है एक दलित परिवार?
बासु मित्र पूर्णिया के मरंगा गांव और न्यू सिपाही टोला के बीच के बियाबान में बने एक झोपड़े के आगे
गौर करो… वहां एक रोटी की किल्लत है!
आशीष सागर दीक्षित बाँदा सदर की ग्राम पंचायत जमालपुर में ‘ अन्नदाता की आखत ‘ अभियान के तहत सामाजिक कार्यकर्ताओं
जाने कहां चले गए गणतंत्र के ऐसे ‘भोले’ नायक?
पुष्यमित्र गणतंत्र दिवस के मौके पर आईये आपको मिलाते हैं बिहार के एक दलित मुख्यमंत्री के परिवार से, जिन्हें तीन
फेसबुक की दुनिया से मोहब्बत के दो किस्से
फेसबुक पर मोहब्बतें-एक एक मेरे फ़ेसबूक मित्र हैं राज झा। ये दरभंगा (बिहार) के मनीगाछी – फुलपरास के समीप बरहमपुरा
‘भूमिका’ ने मीडिया से ज़्यादा उर्वर ज़मीन तलाश ली
किसानों और सरकारों का रिश्ता अजीब सा रहा है। सरकारें योजनाएं बनाती हैं, खूब पैसा बहाती हैं, लेकिन न जाने