एक जिंदादिल इंसान के सपनों का ‘अक्षय’ सफर

एक जिंदादिल इंसान के सपनों का ‘अक्षय’ सफर

अक्षय विनोद के फेसबुक वॉल से साभार

हर किसी का एक सपना होता है, हर कोई अपने मनमुताबिक जीने की तमन्ना रखता है, लेकिन कुछ लोग वक्त और हालात से समझौता करने को मजूर हो जाते हैं तो कुछ लोग मुश्किल हालात से लड़कर अपनी जिंदादिली बरकरार रखते हैं और अपने सपने को जीने के लिए कुछ भी कर गुजरने का माद्दा रखते हैं । ऐसा ही एक नाम है अक्षय विनोद शुक्ल ।  एक अच्छा टीवी एंकर और एक बेहतरीन प्रेजेंटेटर के साथ एक हंसमुख इंसान । टीवी की दुनिया की पत्रकारिता के साथ अपने लिए वक्त निकाल पाना आसान नहीं ऐसे में अगर आपका सपना पत्रकारिता से जुड़ा है तो शायद आप उसे पूरा भी कर लें, लेकिन उससे हटकर है तो थोड़ा मुश्किल जरूर होता है, लेकिन असंभव नहीं । ऐसे में अगर आपके भीतर जुनून और जज्बा हो तो आप अपने सपने को जीने के लिए रास्ता तलाश ही लेते हैं । अक्षय ने भी कुछ ऐसा ही किया । खबरों की दुनिया से दूर निकल पड़ा बाइक से हिंदुस्तान के सफर पर ।  अक्षय ने अपने इस सपने को कैसे जिया उसके बारे में अपने फेसबुक पेज पर कुछ यादें साझा कीं ।

‘हैप्पी हिंदुस्तान’ की कहानी पार्ट-1

2018 के गुज़र जाने के पहले अपने सपने को जीने के लिए कुछ कर गुज़र जाना चाहता था । बाइक तैयार थी, पेट्रोल टैंक फ़ुल, बैटरी एकदम नई फिर भी शुरुआत नहीं हो पा रही थी । मन में एक डर हमेशा बैठा रहा- ‘अकेले कैसे कर पाऊँगा ?  बस यही सवाल बार-बार मेरे जेहन में आता और मेरे कदम बढ़ने से पहले ही ठिठक जाते। शायद इस बार एक कदम पीछे होना ही आगे बढ़ने की दस्तक थी । दरअसल बाइक की बैटरी से ज़्यादा मुझे ख़ुद को चार्ज करने की ज़रूरत थी । 24 दिसम्बर, 2018 का वो दिन भी आ गया जब मेरा डर विश्वास में बदल गया और मन के डर को दिल ने जीत लिया । मैं अपने सपने को जीने निकल पड़ा । एक बार गाड़ी शुरू हुई तो अहसास हुआ की नामुमकिन कुछ भी नहीं है। हालांकि जाना कहाँ तक है, रुकना कहाँ हैं, कुछ तय नहीं हुआ,  तय बस इतना हुआ कि बस चलते रहना है । हर गुज़रते दिन के साथ यक़ीन और पक्का होने लगा की अब ये सफ़र या तो बेहतरीन होने वाला था या सबसे बेहतरीन ।

38 दिन के भारत भ्रमण के दरम्यान कई ऐसे लोगों से रूबरू होने का मौका मिला जो सिर्फ अपने सपने और समाज के लिए जी रहे हैं । कुछ ऐसे लोग मिले जो अकेले ही वो काम कर रहे हैं जिसे सरकार और समाज को करना चाहिए । ऐसे लोगों से मिलना किसी ऑक्सीजन से कम नहीं था । हर एक शख़्स यक़ीन दिलाता गया की सपने को जीने से बढ़कर कुछ और नहीं है और तुम अकेले होकर भी कभी अकेले नहीं हो ।ख़ैर इन सबके बारे में विस्तार से लिखूँगा और हो सकेगा तो वीडियो भी साझा करूंगा । अभी आपको एक सर्कल दिखाना चाहता हूँ, किसी ने इसे मेरी ‘Line Of Happiness’ कहा । ये लाइन उन ठिकानों को मिलाकर बनी है, मैं जहाँ इस सफ़र में रुका ।
मेरा सपना महज़ 8300 किमी दूर था  और इस दूरी को तय करने के लिए मुझे लंबा इंतजार करना पड़ा । ख़ैर कहते हैं ना-देर आए दुरुस्त आए ! जब एक सपना पूरा होता है तो वो आपके और दूसरों के भी कई नए सपनों के पैदा होने की वजह बनता है । इसलिए सोचिए मत बस सपने के लिए आगे बढ़िए और जी लीजिए अपनी जिंदगी, क्योंकि कल हो ना हो, आज तो अपना है । तो आप अपनी “हप्पीनेस लाइन “ कब खींच रहे हैं !


अक्षय विनोद शुक्ल/मूल रूप से छत्तीसगढ़ के निवासी,  रेडियो जॉकी से न्यूज़ एंकर तक का बेहतरीन तजुर्बा । टैलेंट हंट के लिए एबीपी न्यूज़ में बतौर एंकर टीवी की दुनिया में पदार्पण ।एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। संप्रति न्यूज़ नेशन चैनल में बतौर एंकर कार्यरत । 

3 thoughts on “एक जिंदादिल इंसान के सपनों का ‘अक्षय’ सफर

  1. ऐसे ही आगे बढ़ो अपने सपनो को जियो??

  2. आगे बढ़ो बढ़ते चलो,अपने सपनो को साकार करते चलो,
    वो है तुम्हारे पास जो हर किसी के पास नहीं??

  3. अक्षय जी की इस जिंदादिली को सलाम !
    प्रस्तुत है दो पंक्तियां-

    सैर कर दुनिया की गाफिल , जिंदगानी फिर कहां
    जिंदगी गर फिर रही तो , नौजवानी फिर कहाँ ।

    अक्षय जी का यदि संपर्क सूत्र मिले तो देने का कष्ट करेंगे । उन्हें खुद बधाइयां देने के साथ साथ उनसे बात करना चाहूंगा…

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