आखिरी सांसे गिनता पटना का गुणसागर तालाब

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74 हेक्टेयर तालाब में बस इतना ही बचा है ‘पानी’

पुष्यमित्र

पटना के सैदपुर नहर के किनारे बनी कच्ची सड़क पर चलते-चलते हम दरगाह तक पहुंच गए, मगर आसपास का कोई व्यक्ति यह बताने की स्थिति में नहीं था कि गुणसागर तालाब कहां है। थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर जहां नहर पर चचरी का पुल बना था, एक व्यक्ति नहर के किनारे कुरसी पर बैठ कर अपने बच्चे के पीठ में पावडर लगा रहा है । उन्होंने बताया, आप गुणसागर तालाब के ठीक मुहाने पर खड़े हैं । यहां से दाहिनी तरह आप जितने नये मकान देख पा रहे हैं, सब गुणसागर तालाब ही तो हैं, मगर क्या अब इस तालाब में सिर्फ घर हैं, पानी नहीं है क्या ? इस सवाल पर उन्होंने कहा, कुछ प्लाटों के बीच जरूर आपको पानी मिल जायेंगे, मगर बाकी तो मकान, रास्ते और कॉलोनी है। गुणसागर आज की तारीख में पानी वाला तालाब नहीं कॉलोनी वाला तालाब बन गया है।

प्लॉट को कचरा डाल कर भरा जा रहा है
प्लॉट को कचरा डाल कर भरा जा रहा है

उनके बताये रास्ते पर न्यू अजीमाबाद कॉलोनी से होकर गुजरते हुए हम अखाड़ा पहुंचे जहां कुछ मछुआरे बैठे थे। ये वो मछुआरे थे जिनके पास 1996 तक इस गुणसागर तालाब की बंदोबस्ती थी। कहने लगे, जब तक उनके पास बंदोबस्ती रही उन्होंने एक इंच जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया । मगर जैसे ही उन लोगों ने बंदोबस्ती छोड़ी यहां धड़ाधड़ कॉलोनी बस गयी । कभी इस तालाब से पांच-छह सौ परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी, अब सब लोगों को अपना रोजगार बदलना पड़ा । एक सज्जन के पास गुणसागर तालाब का पुराना नक्शा पड़ा था । वे उठाकर ले आये । नक्शे पर इस तालाब का रकबा देख कर मन हैरत से भर उठा । बाद में जिला मत्स्य कार्यालय के एक कर्मी ने भी पुष्टि की और बताया कि इस तालाब का रकबा 74 हेक्टेयर है । अतिक्रमण के कारण जलक्षेत्र जरूर घटता रहा, 2011-12 तक तो ऐसी स्थिति आ गयी कि वहां मछली पालन के लिए बिल्कुल पानी नहीं रहा । फिर विभाग ने उस तालाब को राजस्व विभाग को हस्तांतरित कर दिया ।

जहां तालाब था वहां बस्ती बन गई
जहां तालाब था वहां बस्ती बन गई

संदलपुर अखाड़ा पर मौजूद एक पूर्व मछुआरे ने बताया कि कभी वे लोग संदलपुर मौजे में ही 40 तालाबों की बंदोबस्ती लिया करते थे । आज तालाब ढूंढने से भी नहीं मिलते । गुणसागर तालाब की तो कभी इतनी महिमा थी कि निःसंतान महिलाएं यहां स्नान करने आती थीं और पानी के अंदर से घोघा या सेतुआ निकालती थीं । कहा जाता था कि जो महिला घोघा या सेतुआ निकाल लेतीं उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती थी। मगर अब उस तालाब की जमीन पर हजारों मकान हैं । गुणसागर तालाब एक अकेली कहानी नहीं है । कुम्हरार स्थित तालाब को भर कर सरकार ही पटना सदर का प्रखंड कार्यालय बनवा रही है । सैदपुर स्थित फिजिकल कॉलेज के परिसर वाले तालाब पर साइंस सिटी बनाने की योजना है । कुछ ही साल पहले पृथ्वीपुर तालाब को भर कर रेलवे का अस्पताल बना लिया गया । मछुआरे बताते हैं कि आज जहां तारामंडल और नेताजी का स्टैच्यू खड़ा है, वहां भी कभी तालाब ही हुआ करते थे । इस तरह क्या सरकार, क्या जनता हर कोई तालाब को भरने में जुटा है । यह जाने बगैर कि 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वे अपने इलाकों में तालाबों पर से अवैध कब्जा हर हाल में हटायें और 2013 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने निर्देश जारी किया था कि शहरी इलाकों में तालाबों को एसेट माना जाये और उसकी सुरक्षा की जाये ।

Untitled                          सूचनाएं विभिन्न स्रोतों से जुटाई गई हैं

 इसी बीच पटना शहर में तालाबों का रकबा तेजी से घट रहा है। जिला मत्स्य पदाधिकारी से मिले आंकड़ों के मुताबिक वे पटना सदर प्रखंड के 32 जलकरों की बंदोबस्ती किया करते हैं, जिसका रकबा 70.64 हेक्टेयर है, मगर इनमें से अभी सिर्फ 15 जलकरों की बंदोबस्ती के लिए लोगों ने रुचि दिखायी है और कुल 11.26 हेक्टेयर जलक्षेत्र की ही बंदोबस्ती हो पायी है, वजह है अतिक्रमण।

 वास्तविक रकबा इससे भी अधिक था

पटना शहर में तालाबों पर बने या बन रहे प्रमुख सरकारी इमारत

  1. तारामंडल
  2. रेलवे अस्पताल
  3. आइएमए हॉल के सामने नेताजी का स्टैच्यू
  4. पटना सदर प्रखंड का कार्यालय (बन रहा है)
  5. साइंस सिटी (फिजिकल कॉलेज के तालाब पर बनाने की योजना)

जब इस बारे में पटना के मत्स्य अधिकारी से हुई तो उनकी दलील थी कि उन्हें पदभार ग्रहण किये अधिक वक्त नहीं हुआ है और अभी पता लगा रहे हैं कि कहां-कहां अतिक्रमण है और उसकी क्या स्थिति है ।


पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।

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