परशुराम की तपोभूमि में एक और तपस्या

पोखर में पानी के लिए गांव वालों का भागीरथ प्रयास ।

सत्येंद्र कुमार यादव

19 अप्रैल को गांव पिंडी, देवरिया जाना हुआ। 20 अप्रैल को मामा के बेटे की शादी थी। 21 अप्रैल को दिल्ली लौटना था। दो दिन का वक्त अपने गांव के लिए कितना कम है, कहने की जरूरत नहीं। 19 अप्रैल को दोपहर 12 बजे वैशाली एक्सप्रेस से देवरिया पहुंचे। दो बजे निपनिया ठेंगबल दुबे में बदलाव की चौपाल लगानी थी सो अपने घर न जाकर सीधे चौपाल में पहुंचा। 2 घंटे बाद मामा के गांव इंदौली, सोहनाग के लिए निकल पड़ा। उसी दिन करीब 3 घंटे बाद अपने घर के लिए रवाना हो गया। लू इतनी तेज चल रही थी कि बाइक से 17 किमी की यात्रा करना काफी मुश्किल हो रहा था। तेज पछुआ और गरम गरम हवा मानो झुलसा देने को तैयार थी। बारात निकालने की तैयारी हो रही थी। तभी करीब 3 बजे पूर्व प्रधान प्रतिनिधि प्रेमचंद्र जी का फोन आया। उन्होंने बताया कि “2 घंटे बाद भगवान परशुराम धाम, सोहनाग में पोखर के किनारे मीटिंग है आपको वक़्त पर पहुंचना होगा।”

पोखर के किनारे चुनौतियों पर चर्चा।
पोखर के किनारे चुनौतियों पर चर्चा।

इधर, बारात निकलने वाली थी और उधर, भगवान परशुराम धाम के पोखर के किनारे मैं गांव वालों के जज्बे को देख रहा था। 600 मीटर लंबे, 200 मीटर चौड़े पोखर की खुदाई चल रही थी। इसी को लेकर वहां लोगों की मीटिंग हो रही थी। मैं भी सुन और देख रहा था। मीटिंग में मौजूद लोगों ने बताया कि सोहनाग, प्यागपुर, इंदौली, ठेंगवल दुबे, जोगापुर, तिलौली, गौरी और तमाम गांव के लोग सौ, पचास, दो सौ, हजार रुपए तक चंदा देकर पोखर की खुदाई करा रहे हैं। दल के दलदल से दूर लोग एक ही धारा में बह रहे थे। सबका लक्ष्य सिर्फ पोखर निर्माण है। सरकार नहीं, समाज के लोगों के भरोसे इतना बड़ा काम किया जा रहा है। लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। थक हारकर ग्रामीणों ने चंदा जुटा कर जेसीबी, ट्रैक्टर से पोखर की खुदाई शुरू कराई।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद देवरिया में जिला मुख्यालय से मात्र 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित सोहनाग धाम भगवान परशुराम की तपस्या स्थली है। विशाल पोखर के जल की पवित्रता और चिकित्सीय गुण के कारण सोहनाग को तीर्थ की मान्यता प्राप्त रही है। दूर-दूर से लोग इस पोखर में नहाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस पोखर में जो नहाता है उसका विकार दूर हो जाता है। बताया जाता है कि इस तीर्थ सरोवर का जल कभी नही सूखा था। किन्तु शासन प्रशासन की उपेक्षा, स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते इस साल सोहनाग का सरोवर एकदम सूख गया। जिस जल में कभी हाथी डूब जाया करते थे वहाँ आचमन हेतु भी जल नही है। तीर्थ सरोवर अपनी बदहाली के चरम अवस्था को प्राप्त हो चुका है और सरकार आँखें मूदे बैठी हैं।

बाएं से- पूर्व डीआईजी रुदल सिंह, राम नयन सिंह, प्रेम चंद्र यादव ।
बाएं से- पूर्व डीआईजी रुदल सिंह, राम नयन सिंह, प्रेम चंद्र यादव ।

तीर्थ सरोवर की बदहाली की जानकारी मिली तो सोहनाग धाम से ही शुरुआती पढ़ाई लिखाई करने वाले पूर्व डीआईजी  रुदल सिंह ने क्षेत्रीय जनता को इस दिशा में जागरूक करने और जन सहयोग से ही तीर्थ सरोवर का जीर्णोद्धार और विकास करने का संकल्प लिया। स्थानीय स्तर पर भगवान परशुराम धाम तीर्थ सरोवर जीर्णोद्धार एवम् विकास समिति का गठन किया गया। समिति में स्थानीय बुद्धिजीवी, शिक्षक, समाजसेवी, वकील पत्रकार आदि की सहभागिता है। समिति के सदस्यों में राम नयन सिंह, सतीश प्रसाद, अरविन्द मिश्रा, राम निवास यादव, विनोबा जी, अभिमन्यु सिंह, प्रमोद लाल, भीम सिंह, प्रेम चन्द्र यादव, लल्लन सिंह, मुकेश सिंह समेत कई लोग काफी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। स्थानीय जनता के सहयोग से तीर्थ सरोवर की सफाई, खुदाई और चारों दिशाओ में बांध का निर्माण, सरोवर की परिक्रमा के लिए पैदल पथ के निर्माण का कार्य जोर शोर से चल रहा है, जिसे जनता का अपार समर्थन मिल रहा है।

  • पोखर में पानी हमेशा रहे, इसके लिए सरोवर के ठीक बीच में छोटे तालाब का भी निर्माण करवाया जा रहा है।

    भगवान परशुराम धाम पोखर की खुदाई।
    भगवान परशुराम धाम पोखर की खुदाई।
  • सरोवर के चारों तटों पर सुन्दर स्नान घाटों का निर्माण।
  • महिलाओं के स्नान करने के लिए अलग से घाट की व्यवस्था।
  • पोखर के चारों ओर करीब 10 फीट का परिक्रमा मार्ग
  • परिक्रमा मार्ग पर शेड्स और बैठने की व्यवस्था। चारों ओर सोलर लाइट्स।
  • देव वृक्ष का सघन वृक्षारोपण किया जा रहा है। 
  • पुरुष और महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था। 
  • भगवान परशुराम धाम मंदिर को भव्य बनाया जाएगा। पोखर के तट पर भगवान परशुराम की 6 फीट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी।
कभी हाथी डूब जाती थी, पानी बिन सब सून।
कभी हाथी डूब जाता था, अब पानी बिन सब सून।

भगवान परशुराम धाम और पोखर के प्रति जनता का जुड़ाव बढ़ा तो स्थानीय जन प्रतिनिधि की दिलचस्पी भी इस काम में बढ़ी। DRDA देवरिया ने तीर्थ सरोवर के विकास और सुंदरीकरण के लिए एक प्लान तैयार कराया है। ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि ये प्लान मूर्त रूप ले और पोखर के साथ साथ आस-पास के गांव का भी विकास हो। यहां सदियों से भव्य मेले का आयोजन होता आ रहा है। 9 मई अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम की जयंती मनाने की तैयारी हो रही है। ग्रामीणों की मांग है कि इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया जाए ताकि ये ऐतिहासिक धरोहर हमेशा-हमेशा के लिए सलामत रहे। 


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सत्येंद्र कुमार यादव,  एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रियता । आपसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है ।


सच में…’हर खेत को पानी’ मिलेगा!

2 thoughts on “परशुराम की तपोभूमि में एक और तपस्या

  1. भगवान परशुराम धाम सोहनाग देवरिया के प्राचीन पौराणिक स्वरुप एवम् वर्तमान में इस तीर्थ स्थल की बदहाली के सम्बन्ध में सटीक लेखन हेतु सत्येंद्र जी को साधुवाद ।
    उम्मीद की जाती है कि इस तीर्थ सरोवर की बदहाली की तरफ शासन सत्ता का ध्यान आकर्षित होगा और सोहनाग धाम अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त करेगा ।

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