पटना के रंगमंच पर ‘मेहमान’ की ‘दस्तक’

दस्तक की प्रस्तुति एक दिन का मेहमान ।

बदलाव प्रतिनिधि

निर्मल वर्मा की कहानियों को मंच पर उतारना आसान नहीं है। मगर पटना के प्रेमचंद रंगशाला में निर्देशक सदानंद पाटिल के निर्देशन में कहानी ‘एक दिन का मेहमान’ सीधे दिल में उतर रही थी। अनु आनंद राष्ट्रीय रंग महोत्सव के तीसरे दिन की दोपहर ‘मेहमान’ के नाम रही। निर्मल वर्मा की कहानी ‘एक दिन का मेहमान’ मध्यवर्गीय जीवन में पति-पत्नी के बीच के तनाव की सशक्त अभिव्यक्ति है। इस कहानी में जहां एक और दांपत्य जीवन की दरार है तो वहीं दूसरी ओर स्त्री और पुरुष के मन का द्वंद्व भी है। सालों बाद पत्नी के पास लौटा नायक जहां वक़्त के फ़ासले को पाटने की कोशिश करता है, वहीं नायिका ने जो भोगा है, उसके लिए माफ़ी को तैयार नहीं दिखती।

एक दिन का मेहमान एक दिन के अंतराल में सिमटे कशमकश की कहानी है, जिसका अतीत से गहरा नाता है और जो भविष्य के सवालों की भी झलक दिखा जाती है। सूत्रधार शिव प्रसाद गौड़,  पति (पशुपति शर्मा), पत्नी (सर्बानी शर्मा), बेटी (सुधा निकेतन रंजनी), छोटी बेटी (रिद्धिमा) का अभिनय  कहानी को संप्रेषित कर गया। शिव प्रसाद गौड़ का प्रकाश संयोजन और मोहन जोशी का संगीत संयोजन बेहतर रहा। नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र सदानंद पाटिल ने किया।

निर्देशक सदानंद पाटिल

निर्देशक- सदानंद पाटिल
निर्देशक- सदानंद पाटिल

निर्देशक सदानंद पाटिल ने 1987 से रंगमंच की शुरुआत कीरंगविदूषक भोपाल में श्री बंसी कौल जी के सान्निध्य में एक खास तरह की शैली पर काम किया। रंग विदूषक के साथ देश के कई शहरों के साथ ही विदेशों में कई बड़े नाट्य समारोहों में हिस्सा लिया। साल 2004 में आपने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय में स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद एनएसडी रेपर्टरी में 6 साल तक बतौर अभिनेता कार्य किया। ऑन स्टेज और ऑफ स्टेज सभी तरह के प्रयोगों में गहरा यकीन। नए अभिनेताओं के साथ प्रस्तुतियों में दिलचस्पी लेते हैं। फिलहाल किंगडम ऑफ ड्रीम में मुख्य भूमिका कर रहे हैं। टेलीफिल्म मनमर्जियां से आपने छोटे पर्दे पर अलग पहचान बनाई।

नाट्य महोत्सव को पटना के मीडिया ने भी शानदार कवरेज दी है।
नाट्य महोत्सव को पटना के मीडिया ने भी शानदार कवरेज दी है।

दस्तक का सफ़रनामा भोपाल में 1999 में शुरू हुआ। पिछले 17 सालों के दौरान संस्था ने कई अहम प्रस्तुतियां की हैं। राम संजीवन की प्रेम कथा, मादरे वतन, आषाढ़ का एक दिन, मीडिया मर्सिया, एक लड़की पांच दीवाने, आधे-अंधेरे समय में (कविता कोलाज), गुलबकावली, बंदर मस्त कलंदर, एक दिन का मेहमान के अलावा भी कई छोटी बड़ी प्रस्तुतियां इस समूह ने की, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा। इस नाट्य समूह को बंसी कौल, राजकमल नायक, सच्चिदानंद जोशी जैसे वरिष्ठ नाट्यकर्मियों का सान्निध्य प्राप्त है। नाट्य समूह ने भोपाल में काफी छोटे समय में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। प्रगतिशील कलाकारों का ये समूह रंगमंच को स्मृद्ध करने के लिए सतत कार्यरत है।